27 अप्रैल की खूबसूरत शाम को साहित्य, कला और संस्कृति को समर्पित कर्मभूमि संस्था द्वारा नाट्यकला और संगीत के इंद्रधनुषी रंगों से सजाया गया। सर्वप्रथम सुश्री चेतना ने, संचालन की कमान सँभालते हुए सभी उपस्थित कर्मभूमि सदस्यों का जोरदार स्वागत किया। कर्मभूमि की परंपरा का निर्वाह करते हुए सभी सदस्यों ने राष्ट्रगान से कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
राष्ट्रगान के बाद सुश्री चेतना जी ने कर्मभूमि की सह संस्थापक नीरजा जी को आमंत्रित किया। सुश्री नीरजा जी ने कर्मभूमि की आगामी योजनाओं की दिलचस्प जानकारी दी। आपने कर्मभूमि को साहित्य कला और संगीत का अद्भुत संगम बताया। उन्होंने सभी सदस्यों को साल में एक बार कार्यक्रम हेतु अनोखे एवं मनमोहक पर्यटन स्थल पर ले जाने की बात भी कही , जिसे सुनकर सभी साथी रोमांचित हो उठे। अंत मे डिजिटल लाइब्रेरी के अनूठे विषय की जानकारी भी उपलब्ध कराई गई। ताकि घर घर मे पुस्तक़ों को पढ़ने का चलन बढ़े। घर मे रखी पुस्तक़ों का सदुपयोग किया जा सके।
चेतना जी ने कर्मभूमि की दूसरी संस्थापक प्रीति जी को सप्रेम आमंत्रित किया । उन्होंने नई सदस्य हिना रावल का परिचय देकर स्वागत किया। नीरजा जी ने हिना जी को कर्मभूमि का बैज लगाकर अभिनंदन किया।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए प्रीति जी ने चेतना को आंमत्रित किया गया। उन्होंने एकलकव्य द्वारा द्रोणाचार्य जी को गुरूदक्षिणा देने का मर्मस्पर्शी दृश्य प्रस्तुत कर रोंगटे खड़े कर दिए। जहाँ एक ओर मल्लिका-स्मिता जी की धुंआधार जोड़ी ने मल्लिका जी के चैट उपन्यास के एक अध्याय की कमाल की बातचीत से सबका मनोरंजन किया तो दूसरी ओर मधु जी की भानुमती और धन्नो की कहानी ने सबकी आँखें नम कर दीं।
सुश्री विनीता जी ने भोजपुरी गीतों की प्रस्तुति कर सबका मन मोह लिया और रिश्तों के नए आयाम दर्शाये। सुश्री दीपा जी ने भावपूर्ण भजन गायन द्वारा भक्तिमय माहौल बना दिया और अपने अनूठे अभिनय से सबको रोमांचित भी किया। उसके पश्चात नीरजा जी ने एक अंग्रेजी कहानी में ब्राउनी के माध्यम से जीवों पर दया करने का समाज को सुंदर सन्देश दिया ।
अंतिम प्रस्तुति “चाय में डूबा बिस्कुट” हास्य रस से परिपूर्ण थी जो कि सुश्री प्रीति जी द्वारा दी गयी। सब के सब जिसे देखकर हँसते- हँसते लोटपोट हो गए ।
अन्त में नीरजा जी ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।