1.
ये मकां है मेरे रिश्तेदार का
है नमूना दौरे भ्रष्टाचार का
शुद्ध ग्रेनाइट का इसमें फ़र्श है
कीमती रंग है हर इक दीवार का
हैं तो मामूली से इक इंजीनियर
मामला कुछ और कारोबार का
खर्च कुत्तों का है पूरा दस हज़ार
भाव है यह प्राणियों के प्यार का
दबदबा इनका शहर में है सुगम
ओहदा ऊंचा है इज्जतदार का
ट्रांसफर होता नहीं इनका कभी
प्यार इन पर है बहुत सरकार का
कोई भी दल आये सत्ता में सुगम
भाव कम होता नहीं सत्कार का
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2.
झूठ होता है बुलबुलों जैसा
लुत्फ़ देता है चुटकुलों जैसा
पेशतर कीमतें चुकाने पर
न्याय मिलता है अटकलों जैसा
तोड़ने को सवाल की उंगली
हश्र होता है मरहलों जैसा
सत्य की सादगी दबाने को
शोर उठता है पागलों जैसा
सूखी, दरकी ज़मीन के ऊपर
कौन बरसेगा बादलों जैसा
अब हवाओं में हो गया शामिल
खौफ़ का चेहरा ज़ाहिलों जैसा
मांगने को हुकूक निकला है
झुंड भूखों का काफ़िलों जैसा
दौरे महफ़िल में अब नहीं आता
लुत्फ़ पहले सी महफ़िलों जैसा