1
आकार बन
निराकार से जब
मनदीप हो
2
नारी मन है
करुणा का सागर
नैनन नेह
3
जीवन जब
मथ जाता निकले
माखन तब
4
सुंदर प्रकृति
संवरा उपवन
दे संरक्षण
5
खोज रही है
स्त्री कोलंबस बन
धरा में घर
6
धानी चूनर
अल्हड़ यौवन
बावरा मन
7
नवतरुणी
चमका मुखमंडल
ऊर्जित मन
8
पावस ऋतु
संग गाएं मल्हार
धान रोपाई
9
संघर्ष सह
तन आग में तप
कुंदन बना
10
उमड़े मेघ
हलधर हर्षित
उत्सव खेत
11
कजरी धुन
नैहर की सखियां
बागों के झूले