त्रिपदी गजल
बैठक में टेबल के ऊपर
काग़ज़ के कुछ फूल जमाये
इत्रों से फिर वे महकाये
गुलदानों में फूल सजाये
आडम्बर के नाटक रचकर
बनते पर्यावरण हितैषी
इतराये, फोटो खिंचवाये
गुलदानों में फूल सजाये
कलियाँ जहाँ मिली सुंदर सी
झटका, तोड़ा, कुचला, मसला
सपने मधुर मधुर दिखलाये
गुलदानों में फूल सजाये
खोदी जड़ें, दिया ना पानी
सुखा दिये पौधों के कुनवे
फिर झूठे आंसू टपकाये
गुलदानों में फूल सजाये
रंग बिरंगापन वो चाहें
लेकिन बस अपनी ही खातिर
रखे कैद में रंग पराये
गुलदानों में फूल सजाये