जा रहा है फिर दिसम्बर आएगी फिर जनवरी
ज़िंदगी में रंग कैसे लाएगी फिर जनवरी
यूं तो हम अब भी वही हैं जो हुआ करते थे कल
हमको क्या बदला हुआ अब पाएगी फिर जनवरी
जाने क्या क्या हमको दिखलाया दिसम्बर ने यहां
क्या दिखा कर हम सभी को जाएगी फिर जनवरी
कितना कुछ समझा गया है हमको बीता एक साल
अब नया क्या हमको कुछ समझाएगी फिर जनवरी
अब तलक तो हम बहलते आए हैं ऐसे ही कुछ
और कितना हमको यूं बहलाएगी फिर जनवरी
भार इतना है उठाया हमने बीते साल में
बोझ कितना हमसे अब उठवाएगी फिर जनवरी
हल्की हल्की ठंड में तड़पे दिसम्बर की यूं हम
जाने कितना और अब तड़पाएगी फिर जनवरी
कितने सपने देखे थे हमने यूं बीते साल में
ख़्वाब कितने और अब दिखलाएगी फिर जनवरी
वो नज़ारा देखने काबिल ही होगा दोस्तों
ओढ़ कर कंबल में जब शरमाएगी फिर जनवरी
साल अच्छा बीते सबका साल शुभ हो ये नया
सबके घर आंगन को यूं महकाएगी फिर जनवरी