1.
रंज में दिल है क्या किया जाए
दर्द हासिल है क्या किया जाए
बीच मझधार में खड़ा हूँ मैं
दूर साहिल है क्या किया जाए
जो मेरी जान थी कभी देखो
जान-ए-महफ़िल है क्या किया जाए
जिस्म होता तो छूट ही जाता
रूह शामिल है क्या किया जाए
हर तरफ़ हैं यूँ इश्क़ के चर्चे
दिल ये ग़ाफ़िल है क्या किया जाए
वो ही इक रास्ता है मेरे लिए
वो ही मंज़िल है क्या किया जाए
इश्क़ में जान से है जाना अब
हुस्न क़ातिल है क्या किया जाए
ज़िंदगी और कुछ नहीं देखो
इक मराहिल है क्या किया जाए
भीड़ में चल रहा हूँ मैं तन्हा
यार मुश्किल है क्या किया जाए
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2.
ग़म के मारों को नहीं छेड़ा है
इन नज़ारों को नहीं छेड़ा है
चाँद को छू के चले आये हम
पर सितारों को नहीं छेड़ा है
फूल को क़ैद किया है दिल में
हमने ख़ारों को नहीं छेड़ा है
मंज़िलों की कोई चाहत नहीं की
रहगुज़ारों को नहीं छेड़ा है
सिर्फ़ उसको ही किया है हैरान
आज सारों को नहीं छेड़ा है
तंग आए हैं ख़िज़ाँ से फिर भी
नौ-बहारों को नहीं छेड़ा है