धुएँ से है भरा जो आसमान बदलेगा
यक़ीन मानिए हिन्दोस्तान बदलेगा
हमें जो बाँटता हो प्रावधान, बदलेगा
हमारी कोशिशों से ये जहान बदलेगा
बदलते जा रहे हैं आसमान के तेवर
परिंदा क्यूँ नहीं अपनी उड़ान बदलेगा
है उसके भाषणों का रंग गिरगिटों की तरह
वो अगली बार भी अपना बयान बदलेगा
बना गया है जिसे वक़्त अपने हाथों से
तू कैसे सभ्यता का वो निशान बदलेगा
तुषार झूठ का पिघलेगा जल्द ही यारों
क्षितिज पे सच उगा है, तापमान बदलेगा