१.
रंज़ो-ग़म हँसी मज़ाक के ही दरमियान सुन,
बा-क़माल ज़िन्दगी तू ख़ुद की दास्तान सुन..
बोल कर करेगा क्या, नहीं सुनेगा कोई भी,
संग’दिल है सब यहाँ ज़रा ए ख़ुश-ज़ुबान सुन..
एक दिन ज़रूर क़ामयाब होंगी कोशिशें,
इंक़लाब की उठेगी गूँज हुक्मरान सुन..
ज़ेहन को सुकून औ, क़रार तुझको आएगा,
एक बार बात अपने दिल की बद-गुमान सुन..
रख समेट कर इन्हें बहा न अश्क़ अपने यूँ,
आएगा कोई परिन्द प्यासा साएबान सुन..
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२.
तेरी हूँ साँसों कि दरकार राएगाँ न समझ,
दरख़्त मैं हूँ हवा-दार राएगाँ न समझ..
न ऊब दोस्त सुकूँ की लुका-छुपी से अभी,
है खेल ख़ूब मज़ेदार राएगाँ न समझ..
जुनून-ए-इश्क़ को समझे है राएगाँ दुनिया,
ख़ुदारा! तू तो मेरे यार राएगाँ न सझम..
नई ये नस्ल बग़ावत पे आ भी सकती है,
ए ज़ुल्मपेशा ख़बरदार राएगाँ न समझ..
कसूरवार हैं हम गलतियाँ हमारी थी,
तू ख़ुद को बीच कि दीवार राएगाँ न समझ..