1.
सियासत फिर गली में आ गई है
बगावत जिंदगी में आ गई है
यहां हालात ऐसे हो गए हैं
कि तल्खी शायरी मैं आ गई है
बुराई जो ज़रा सी बच गई थी
तुम्हारी मुखबरी में आ गई है
अदालत खौफ ऐसा दे रही है
वो पहली हाज़री में आ गई है
बहुत तुम ज़ुल्म भी करने लगे थे
तो लड़की अब गली में आ गई है
नहीं सब मानती अब बात तेरी
ये गुण भी स्त्री में आ गई है
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2.
हम अकेले अगर निकल जायें
फिर अमीरे शहर कुचल जायें
हमसे बर्दाश्त अब नहीं होंगे
आप अब तो ज़रा संभल जायें
इससे पहले जुबां खुले मेरी
आप ख़ुद ही ज़रा बदल जायें
काटना हाथ ही तो रस्ता है
सांप जब आस्तीं में पल जायें
उससे रहना है सावधानी से
फिर नई चाल वो न चल जायें
बोल कर हों नहीं कभी वापस
आप उछलें अगर उछल जायें