1.
ये ज़िंदगी उलझे हुए बालों की तरह है
हालात के पेचीदा सवालों की तरह है
ये चाँदनी रातों की तबस्सुम भरी मस्ती
तेरे हसीन शब्ज़ खयालों की तरह है
वो वस्ल की यादें हैं जिन्हें भूल गए हैं
वो बात तो बीते हुए सालों की तरह है
शिद्दत के साथ तेरा मुहब्बत में डूबना
अंदाज़ तेरा मय के प्यालों की तरह है
जो भी मिला है हमको मशक्कत के बाद में
वो सब तो हमें हाथ के छालों की तरह है
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2.
अंधकार में ये आंखें बेदम हो जाती हैं
चकाचौंध में सब चीजें ही गुम हो जाती हैं
इंकलाब की आग धधकती है जब सीने में
दबी, पिसी आवाजें भी परचम हो जाती हैं
साथ हमारा देने वाली आंखें ही तो हैं
खुशियाँ हों या गम हों आखिर नम हो जाती हैं
दर्दों की तासीर समझना दिल को आता है
अश्क बहाने से पीडायें कम हो जाती हैं
दंत कथाओं में ऐसा कई बार सुना हमने
तन्हाई की अनुगूंजें सरगम हो जाती हैं