बेटी
बेटी कोई बोझ नहीं,
दवा है वह रोग नहीं
खूब पढ़ाओ खूब लिखाओ,
साथ में दुनियादारी सिखाओ
पिंजरा खोल उन्हें उड़ने दो,
जियो और उन्हें जीने दो
एक दिन ऐसा भी आएगा,
वक़्त भी उनका हो जाएगा
कामयाबी कदम चूमेगी,
हर क्षेत्र में वें आगे बढ़ेंगी
नाम से उनके आपकी पहचान होगी,
राहों के कांटें फूल बनेंगे
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ,
अपने देश को आगे बढ़ाओ
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मैं
माँ की प्रतिछवि हूँ, मैं
पापा की अभिमान हूँ,
दादाजी की आँख का तारा हूँ, मैं
दादीजी की जान हूँ
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भाई की ताकत हूँ, मैं
रिस्तेदारों का स्वाभिमान हूँ,
जो भी हूँ, जैसे भू हूँ, मैं
हर किसी का मान हूँ
खूब पढूँगी खूब लिखूँगी,
सबकी आशा पुरी करूँगी,
ताकि गर्व से कहसकूँ मैं,
इस भारत की शान हूँ