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ज़रा सोचिए
यह मेरी ज़िंदगी है- प्रगति गुप्ता
आज जब सवेरे-सवेरे मेरे …
ज़रा सोचिए
यह मेरी ज़िंदगी है- प्रगति गुप्ता
आज जब सवेरे-सवेरे मेरे …
ज़रा सोचिए
स्त्री तुम एकाकी कहाँ
– प्रगति गुप्ता
समय का चक्र …
ज़रा सोचिए
कभी सोचा है?
– प्रगति गुप्ता
यही कुछ पाँच-छ: महीनों …
ज़रा सोचिए
शिक्षा का मानी ज़िम्मेवारियों से पलायन नहीं
– प्रगति गुप्ता…
ज़रा सोचिए
मेरी नन्ही-सी परी
– प्रगति गुप्ता
सरकारी अस्पतालों की दिनचर्या …
ज़रा सोचिए
समझदारी है यह या नासमझी
– प्रगति गुप्ता
आज से …
ज़रा सोचिए
अपराजिता! तुम बहुत चुप क्यों हो
– प्रगति गुप्ता
“क्या …
ज़रा सोचिए
भावनात्मक स्पर्श
– प्रगति गुप्ता
आज मेरी मुलाक़ात एक अरसे …
ज़रा सोचिए
ताकि ये पृथ्वी पुन: हरी भरी हो
– रेखा श्रीवास्तव…