ग़ज़ल ग़ज़ल- करते हैं ख़्वाब रक़्स मेरे सर के आसपास जैसे किसी …
ग़ज़ल ग़ज़ल- हमारी छत पे जो आई तो बेमज़ा आई ये धूप …