ग़ज़ल
ग़ज़ल
तुझे जानूँ, तुझे समझूँ, तुझे कुछ यूँ निखारुं मैं
भले …
ग़ज़ल
ग़ज़ल
तुझे जानूँ, तुझे समझूँ, तुझे कुछ यूँ निखारुं मैं
भले …
ग़ज़ल
ग़ज़ल
कैसा ये दो लफ्जों में पैगाम लिख दिया
पहले सलाम …
ग़ज़ल
ग़ज़ल-
दादीसा के भजनों जैसी मीठी दुनिया
पहले जैसी कहाँ रही …