उभरते-स्वर
हँसी पे पीछे
हँसी के पीछे ग़मों को कभी छुपाया नहीं …
उभरते-स्वर
हँसी पे पीछे
हँसी के पीछे ग़मों को कभी छुपाया नहीं …
उभरते-स्वर
ज़िन्दगी
ज़िन्दगी मुझे बहुत कुछ सिखा रही है
कभी हंसना तो …
उभरते-स्वर
धर्म
जब रची गयी, धर्म की किताबें
वो वक्त की ज़रुरत …
उभरते-स्वर
ये सफर भी कितने अजीब होते हैं ना!
ये सफर भी …
उभरते-स्वर
बेबस लड़की
बेबस, बेजार लड़की
अकेली उदास लड़की
चल पड़ी बेखौफ़…
उभरते-स्वर
पत्थर दिल
चादर पर पड़ी ढेरों सिलवटें
कुछ टूटे बाल
तकिये …
उभरते-स्वर
मशाल
रगों में दौड़ता हर वक्त जो लाल है,
असल में …
उभरते-स्वर
इस बार उभरते स्वर स्तम्भ में प्रस्तुत है कर्णाटक की युवा …
उभरते स्वर
1.
ईश्वर!
बहुत-सी शिकायतें हैं तुमसे
कौन-कौनसी करूँ
सवाल बहुत-से …
उभरते-स्वर
कविता- जल बचाओ
ना व्यर्थ बहाओ जल
जल से ही है …