उभरते स्वर
हमदम
कोई चलते-चलते रुक जाए, जब दिल की कोई आह …
उभरते स्वर
हमदम
कोई चलते-चलते रुक जाए, जब दिल की कोई आह …
उभरते स्वर
रिश्ते निभाते हैं
लॉकडाउन में सीखी हुई कुछ बातें
आओ …
उभरते स्वर
एक नए भोर की ओर
हल्की कुनकुनी ठंड में
एक …
उभरते स्वर
विधाता की कृति
कल्पनाओं से परे अनंत में बसती है …
उभरते-स्वर
कठोर कौन है
‘पत्थर दिल’ के सम्बोधन से
पत्थर और पहाड़ …
उभरते-स्वर
मुफ़लिसी और अमीरी
सच कहूँ अगर मैं
बड़ा भाग्यशाली हूँ
क्योंकि …
उभरते स्वर
नारी
पीड़ा को रखती है उर में
सुख-दु:ख में स्थिर …
उभरते स्वर
चलो, करते हैं पूरा आज इनको ही
ये क्षण भी …