उभरते-स्वर
कविता- तारे
चमकते हैं आसमान में तारे
छोटे-छोटे प्यारे-प्यारे
बच्चों को …
उभरते-स्वर
कविता- तारे
चमकते हैं आसमान में तारे
छोटे-छोटे प्यारे-प्यारे
बच्चों को …
उभरते-स्वर
कविता- देखो, कैसी चली हवा
नहीं दिखाई देती, फिर भी
सन-सन …
उभरते-स्वर
कविता- रंग-बिरंगे फूल
उग आए हैं रंग-बिरंगे फूल
इन फूलों की …
उभरते स्वर
प्रेम
ये मेरी आंखे
कुछ कहना चाहती हैं
तुम्हारी आंखों …
उभरते स्वर
भाषायी सभ्यता
सिंधु से सिंध और
सिंध से हिन्द
हिन्द …
उभरते स्वर
किसी कमज़ोर रिश्ते को कोई भी नाम मत देना
बहुत …
उभरते स्वर
काश! मैं मौन रहती
तुम्हारी बोलती आँखों में
श्रद्धा थी, …
उभरते स्वर
मेरे शब्द
तुमसे प्रेरित मेरे शब्द
कुछ अधुरे से हैं…
उभरते स्वर
जैसा मैं चाहती हूँ
फिर बैठी हूँ आज
तेरी यादों …
उभरते स्वर
इन्द्रधनुष
बारिश के बाद जब
खुले आसमान में एक
बड़ा-सा …