अनचाहे अनुबंध
कभी पलकों के पहरे में
आँसू बचाते हुए
हम खुश …
माँ पापा वैसे तो मैं ठीक हूँ ,
बस
उम्मीदों की नाव पर चल दिया,
जो मुसाफिर तू होकर सवार।
ना …
बिन डोरी न बन पाएगा पुष्पहार
बिन सदस्य न बन पाएगा परिवार…
बेटियाँ ही नहीं आज बेटे भी पराया धन हो जाते हैं,
पढ़ने …
ज़िंदगी जी नहीं है
ज़िंदगी को झेला है
यार तुम न समझोगे…
यादें
तुम्हारी तस्वीरें।
तुम्हारी मोहब्बतें।
तुम्हारी बातें।
तुम्हारी मासूमियत।
तुम्हारी हँसी।
तुम्हारी …