पुस्तक समीक्षा
“मिले सभी को अपनी मंजिल
ऐसा रस्ता हो मुझ में ”
यह अनुभव राज के बाल कविता संग्रह “चिड़ियों का स्कूल” की पहली रचना की गहन- गंभीर पंक्तियां हैं। ऐसी कल्पना एक बाल -मन ही कर सकता है, वरना परिपक्व मस्तिष्क को केवल अपना स्वार्थ ही दिखता है। संग्रह की इन बाल कविताओं को पढ़ते हुए अनुभव राज के निश्छल मन की थाह ली जा सकती है।
“किसी के तीखे वचनों को सुन
घृणा न मुझ में आए
अति प्रशंसा सुनकर मन में
अहंकार न छाए
दिल पर सबके राज करूं मैं
ऐसी करुणा किस्मत दो।”
सच है यदि बाल- मन के ये भाव कभी विलोपित न हों तो यह दुनिया स्वर्ग हो सकती है।
अनुभव राज की स्कूल जाने की इच्छा हर उस उत्साही बच्चे की इच्छा है, जिसे अन्वेषण करना है, अपनी दुनिया का।
नयापन ,नया माहौल ,नए मित्र ,नए ज्ञान की राहें स्कूल जाने ही से तो खुलती हैं ।अंतिम पंक्तियों में भी अनुभव राज की जिजीविषा झलकती है____
“पैदल चाहे ऑटो बस से बच्चे जाते हैं
व्हील चेयर पे बैठ के मैं भी जाऊंगा स्कूल”
परिवार का विशेष स्नेह जिन बच्चों के हिस्से आता है उनका बचपन किसी तरह के अभाव में भी प्रसन्न और सुखद होता है ,कविता “मेरा परिवार” से इसका अनुभव हुआ ।
“मेला कविता” में जाने कब का देखा बचपन का मेला आँखों के सामने तिर गया। नए जमाने के साथ बदलाव जरूर हुआ है। उसी बदलाव के उल्लेख ने इस कविता को और भी रोचक बना दिया। कविता के माध्यम से अनुभव राज की नजरों से खूब मेला देखा।
बाल मन की जिज्ञासाओं का भला कभी अंत हुआ है जो अनुभव राज की जिज्ञासाओं का होता। तितली ,मेरे साथी, कितने राजा ,आवाजें, पेड़ ,सात रंग ,मौसम राजा आदि प्रतीक प्रकृति के अनोखे रंगों और जीवों के प्रति सहज जिज्ञासा को व्यक्त करती कविताएं बहुत सुंदर बन पड़ी हैं। इन्हें पढ़कर अपने बचपन में पढ़ी कविताओं का वलय आसपास घूमता नज़र आया।
कविता “घड़ी” में___
समय बाँट कर काम करें गर
कभी न रुकने पाएंगे
हर पल नई मंजिल को छूते
आगे बढ़ते जाएंगे”
न केवल समय की कद्र का उल्लेख बल्कि टाइम मैनेजमेंट की पैरवी कर अपने लक्ष्य को पाने की महत्वपूर्ण सीख दे रही है यह कविता।
“मेरा शहर” हर शहर कुछ खास होता है, हर शहर कुछ कहता है, हर शहर का अपना एक इतिहास होता है।
“लहठियां प्यारी प्यारी मिलती हैं
सबकी नज़र है मुज़फ्फरपुर में”
यहाँ लहठियों का उल्लेख अवश्य उसके प्रति जिज्ञासा जगाता है । जिन्हें इस शब्द का ज्ञान नहीं वे अवश्य इसे जानना चाहेंगे। लाख की चूड़ियां मुजफ्फरपुर की शान है ।
साथ ही
पंक्तियां —
“गांधीजी ने यहीं से आंदोलन किया शास्त्रीनगर है मुजफ्फरपुर में”
गांधीजी का ऐतिहासिक आंदोलन तथा गांधीजी के रास्ते पर चलने वाले भूतपूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी द्वारा मुजफ्फरपुर में हरिजन उद्धार के लिए किये गए कार्य एवं इसका उल्लेख अपने शहर के साथ जोड़कर गौरवान्वित होती यह कविता, वाकई ज्ञानवर्धक व महत्वपूर्ण है।
“चिड़ियों का स्कूल” पढ़ने में अत्यंत रोचक कविता जिसमें विभिन्न पक्षियों की स्वभावगत प्रवृत्तियों का भी उल्लेख किया गया…
“शांति पाठ कबूतर गाए
मोर भी हर्षित नाच सिखाएं”
“किताब” इस संग्रह की एक और महत्वपूर्ण कविता है बच्चों में पुस्तकों के प्रति प्रेम जगाती कविता पुस्तक के माध्यम से संदेश दे जाती है___
“मुझको पास रखो बच्चों
मैं हूं तुम्हारी मित्र
हर पल तुम्हारे साथ रहूं
जैसे गुल और इत्र”
यहां ज्ञान को इत्र की भांति महकने की सुंदर संज्ञा दी गई।
कविता सिपाही, शहीद जुब्बा सहनी, देश यह मेरा, बापू, अमर बलिदानी देश प्रेम के साथ देश की सुरक्षा का जज़्बा पैदा करती हैं।
विशेषता शहीद जुब्बा सहनी कविता उन शहीदों के प्रति कृतज्ञता है जिन्हें भुला दिया गया अथवा अधिक महत्व नहीं दिया गया।
कविता माँ, जीवन का सार और लोरी, अनुभव राज की ममतामयी विदुषी माँ के प्रति उद्गार की कविताएं हैं ।
सर्वविदित है कि किसी भी बच्चे की प्रथम गुरु माँ ही होती है। अनुभव राज के व्यक्तित्व को उनकी माँ ने बहुत प्रेम, स्नेह और धैर्य से संवारा है, इसमें संदेह नहीं।
कविता दे दो मोबाइल में, जहाँ मोबाइल के लाभ गिनाए गए, उनमें ज्ञान अर्जन तथा मनोरंजन दोनों का ही उल्लेख है। कुछ हानियां भी गिनवानी चाहिए थीं। बहरहाल कविता गुल्लक , संचय की प्रवृत्ति का सुंदर उदाहरण है, जो बालपन से ही सबको सीखना आवश्यक है।
“क्या बनोगे” मैं इसे गीत ही कहूंगी। यूं तो सभी कविताओं में स्वभाविक लय, तुकांत हैं। कविताएं पढ़ने में भी सहज व सरल हैं किन्तु इस कविता का शिल्प बहुत सुंदर बन पड़ा है।
” कभी सोचता डॉक्टर बनकर सेवा खूब करूं
दुखियों की मैं मदद करूं और पैसे भी न लूं
या फिर कवि बन पेड़ के नीचे सुंदर गीत लिखूं
गुनगुन गुनगुन गाए हवा पक्षी को मीत लिखूं।
ज्ञान अर्जन के साथ ही प्रकृति की संवेदना लेकर एक बालमन अपने भीतर कितनी संभावनाएं संजोए हुए हैं।
कविता ‘सुंदरवन की होली’ ने जहाँ मन मोह लिया वहीं ‘दीप जलाओ’ ने दिवाली को सार्थक होते दिखाया।
“मैं घर बाहर साफ करूं
पापा लाइट्स लगाओ
दीदी बनाओ रंगोली
मम्मी स्वीट्स बनाओ
यहां लाइट्स और स्वीट्स का प्रयोग भाषा को तरल बनाने के लिए प्रयुक्त हुआ है साथ ही सहयोग की भावना का सुंदर उदाहरण।
“वोट दे दो” कविता में व्यंजना है। इसमें नेताओं की करनी और कथनी के अंतर को बहुत सुंदर शब्द से रेखांकित किया है।
“मिट्टी का महत्व” बहुत प्यारी कविता है। धरती और मिट्टी का मानवीकरण कर एक कथा के माध्यम से मिट्टी का महत्व बताना बालमन की अद्भुत कल्पना है।
इसी तरह कविता “चलते चलते रहना है” अपने अद्भुत शिल्प के लिए बहुत ही सुंदर व महत्वपूर्ण कविता है जिसने अनुभव राज को एक उत्साही बालक दर्शाया है।
“मैं जिद्दी हूं
तूफानों में दीप जलाना चाहूं
पंख है कोमल फिर भी नभ में
मैं तो उड़ना चाहूं
डिगूं न पथ से मुश्किल को ये
कहते कहते रहना
मुझको बहना हरदम बहना
बहते बहते रहना”
यूं तो संग्रह बाल कविताओं का है लेकिन संग्रह की सभी कविताएं परिपक्व व्यक्ति के लिए भी पठनीय है। विशेषता एक बालक द्वारा लिखी सहज जिज्ञासाओं , ज्ञान तथा कोमल भावों की अभिव्यक्ति के साथ ही जीवन के मूल्यों , आदर्शों और जीवन के लिए आवश्यक भावनाओं तथा संवेदनाओं का संयोजन है।
अनुभव राज को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं, यूँ ही लिखते रहें।