आम धारणा है कि उपन्यास आदि लेखक विशेष की कल्पना पर आधारित होती हैं और उसमें भी अगर कोई उपन्यास लार्जर दैन लाइफ किरदारों वाला हो, तो उसे कपोलकल्पित माना जाता है। लेकिन, फैंट्सी वर्ग के उपन्यास की शर्तों को पूरा करते हुए भी ‘अवतार— महारक्षकों का आगमन’ इस मामले में थोड़ी अलग है। पहले इस पुस्तक का सार जान लेते हैं।
उपन्यास ‘अवतार— महारक्षकों का आगमन’ की कथा मुख्य रूप से दो भागों में बंटी हुई है। पहला भाग महारक्षकों के आगमन के बारे में है। इस भाग के चार अध्यायों में चारों रक्षकों के सृजन और केंद्रीय भूमिका में आगमन की कहानी है। ये चारों रक्षक चार भिन्न मार्गों से आते हैं। पहला रक्षक संगीत के रास्ते, दूसरा विष, तीसरी नृत्य और चैथा रक्षक योग के रास्ते आता है। ये चारों मिलकर अपने गुरु के नेतृत्व में महायुद्ध की तैयारी करते हैं। चारों योद्धाओं के आगमन की प्रक्रिया को लेखक ने रोचक व रहस्मयी तरीके से प्रस्तुत किया है। जैसे चौथे रक्षक को गायब करने वाले का नाम दूसरे भाग में पता चलता है। इसके अलावा दूसरे रक्षक द्वारा विष एकत्रित करने की घटना का राज आगे पढ़ने पर मालूम होता है।
पुस्तक का दूसरा भाग महायुद्ध के बारे में है। जब चारों रक्षक एक संयोजक और एक गुरु के माध्यम से एकत्रित होते हैं। इसके बाद परमयुद्ध की योजना बनती है और तय समय के अनुसार दूसरे ब्रह्मांड से आक्रमण होता है। विशेष शक्तियों से लैस चारों योद्धा धरती को बचाने के लिए वीरता के साथ महायुद्ध में भाग लेते हैं। पात्रों व घटनाओं के कई तार ऐसे हैं, जो पहले भाग से शुरू होकर दूसरे भाग में पूर्ण होते हैं। इससे कथा में रहस्य बना रहता है। किरदारों के परस्पर संबंधों का ताना-बाना इस प्रकार बुना गया है कि एक किरदार की पूरी जानकरी किसी दूसरे किरदार के बारे में जानने के बाद मिलती है। जब तक पूरी पुस्तक नहीं पढ़ लेते, तब तक पात्रों की रचना व उनके योगदान के बारे में पूरी बात सामने नहीं आती है। पात्रों का एक-दूसरे में समाए होना पूरी कथा को एकरूपता प्रदान करता है। इससे कथा के टूटने की संभावना नहीं रहती है।
कई घटनाएं एक ही समय में घट रहीं हैं और उन सबको मूर्त रूप देने के लिए ठोस किरदारों की रचना की गई है। हर किरदार का अपना एक आभामंडल और पृष्ठभूमि है। मुख्य किरदारों से जुड़ी अतीत, वर्तमान व परस्पर अंतरसंबंधों को विस्तार देकर लेखक ने उन पात्रों की विश्वसनीयता का प्रमाण दिया है। जब किरदार ठोस हों, तो घटनाओं को बल मिलता है। लेखक इसमें सफल हुए हैं। एकरसता से नीरसता उत्पन्न होती है। इससे बचने का भी प्रयास लेखक ने किया है। कथा के प्रवाह में रोचकता व विविधता लाने के लिए गंभीर घटनाओं के बीच मे विनोदी प्रसंगों को भी समाहित किया है। इससे किरदार भी सपाट होने से बचे हैं और पाठक को भी सरस प्रवाह का एहसास होता है।
‘अवतार— महारक्षकों का आगमन’ ऊपरी तौर भले ही फंतासी है। लेकिन, जब इसके अंतर्निहित आयामों को देखेंगे, तो इस पुस्तक में भारतीय पौराणिक वांग्मय और विज्ञान परंपरा नजर आती है। इस पुस्तक के माध्यम से लेखक ने मनोविज्ञान, पराविज्ञान, सिद्धयोग, सहजयोग, चिकित्साशास्त्र, स्वप्न विज्ञान के पहलुओं को सरल व रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है। युवा लेखक ने इतने गूढ़ विषयों को सरल तरीके से पेश किया है, इसके लिए लेखक की प्रशंसा होनी चाहिए। पुस्तक पढ़ते वक्त क्रिस्टोफर नोलन की फिल्में याद आ सकती हैं। विज्ञान व पराविज्ञान से जुड़े विषयों पर कई पुस्तकें उपलब्ध हैं और आगे भी इन विषयों पर सैंकडों पुस्तके लिखीं जाएंगी। लेकिन, मनोविज्ञान व पराविज्ञान के विविध आयामों कोे फिक्शन के माध्यम से चित्रित करना कठिन कार्य है। इसके लिए कल्पना के साथ-साथ गहन अध्ययन व शोध की आवश्यकता होती है। इसको पढ़ने के बाद आप पाएंगे कि कैसे प्यूनी नामक चिड़िया को मानव से प्रेम हो जाता है। इसी प्रकार के कई धागों को जोड़कर अभिलाष ने प्रकृति व मानव के संबंधों की विवेचना की है।
अभिलाष दत्त का उपन्यास ‘अवतार: महारक्षकों का आगमन’ फंतासी (फैंटसी) कैटगरी का होते हुए भी जीवन की कई सच्चाईयों से रूबरू कराता है। मनुष्य द्वारा प्रकृति पर किए जा रहे अत्याचार के प्रति ‘अवतार— महारक्षकों का आगमन’ आगाह करता है। इस पुस्तक की पृष्ठभूमि ब्रह्मांड और उसकी सुपरनैचुरल शक्तियों के बारे में हैं। इसके साथ ही लेखक ने पृथ्वी पर व्याप्त प्रदूषण और मानव के लोभ के कारण नष्ट हो रही प्राकृतिक संपदा का भी प्रभावी चित्रण किया है। पुस्तक में 21वीं के मध्य की चर्चा है। उस काल में प्रदूषण के बढ़ने का जिक्र है और उसके दुष्प्रभावों का मार्मिक चित्रण है। 2021 में ही जब दुनिया प्रदूषण का मुकाबला करने को लेकर संघर्षरत है, ऐसे में पुस्तक ‘अवतार: महारक्षकों का आगमन’ आने वाले समय में भी अपनी उपयोगिता सिद्ध करेगी। फंतासी कहानी के माध्यम से लोगों को जागरुक करने के लिए लेखक अभिलाष दत्त बधाई पात्र हैं।
जो लोग यथार्थवाद के नाम पर परोसी जा रही सामग्रियों से थक चुके हैं, उनके लिए यह पुस्तक एक नयेपन का भाव लेकर आयी है। यह रोचक पुस्तक ऑनलाइन माध्यम अमेजॉन पर उपलब्ध है।