पुस्तक – विमोचन
‘ साहित्यालोक ,अहमदाबाद’ के तत्त्वावधान में ग़ज़लकार डॉ.ऋषिपाल धीमान के भारतीय ज्ञानपीठ से सद्य प्रकाशित ग़ज़ल -संग्रह ‘ रास्ता दिल का’ का विमोचन 26.06.2022 को अहमदाबाद में सम्पन्न हुआ। ग़ज़लकार डॉ. ऋषिपाल धीमान ‘ऋषि’ के इस पाँचवे ग़ज़ल -संग्रह ‘रास्ता दिल का’ का विमोचन सुप्रसिद्ध ग़ज़लकार श्री विजय कुमार स्वर्णकार के कर कमलों से स्वनामधन्य कवयित्री डॉ. कविता किरण एवं सफल समीक्षक श्री प्रमोद कुमार तिवारी की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ । इसके पूर्व डॉ.धीमान के चार ग़ज़ल -संग्रह क्रमशः ‘ शबनमी अहसास ‘ , ‘ हवा के काँधे पर ‘ , ‘जो छूना चाहूँ तो ‘ और ‘ तस्वीर लिख रहा हूँ’ आ चुके हैं जो हिन्दी साहित्य अकादमी, गुजरात समेत अनेक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत हुए हैं।
कार्यक्रम अपने निर्धारित समय पर आमंत्रित अतिथियों एवं गणमान्य विद्वानों – साहित्यकारों के द्वारा दीप- प्रज्ज्वलन के साथ आरम्भ हुआ । आदरणीया डॉ. कविता किरण जी ने कार्यक्रम की सफलता के लिए माँ शारदे का आवाहन किया तत्पश्चात संस्था के अध्यक्ष श्री अश्विनी कुमार पांडेय ने अतिथियों का शाब्दिक स्वागत करते हुए अतिथियों का संक्षिप्त परिचय दिया । अतिथियों का फूल एवं शाल से स्वागत संस्था की कार्यकारिणी के अन्य पदाधिकारी जैसे श्री वसंत ठाकुर ,श्री जितेन्द्र सिंह चौहान ,श्री हरिवदन भट्ट , श्री अजय राय तथा संस्था की सदस्या श्रीमती रजनी धीमान एवं सदस्य श्री रितेश त्रिपाठी ने किया ।
डॉ. धीमान ने जब अपनी माँ को मंच पर बुलाकर ,चरण-स्पर्श कर फूलहार एवं शाल से स्वागत किया , तो पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा ।यह एक भावनात्मक एवं प्रेरणादायी क्षण था ।
अब समय था पुस्तक – समीक्षा का । केन्द्रीय विद्यालय ( गाँधीनगर ) के सहायक प्रोफ़ेसर एवं विद्वान समीक्षक श्री प्रमोद कुमार तिवारी जी ने ‘ रास्ता दिल का ‘ की समीक्षा करते हुए बताया कि डॉ. धीमान जी की ग़ज़लों में जहाँ एक ओर आधुनिक युग की उपलब्धियों ,चुनौतियों और विसंगतियों की बात की गयी है ,वहीं दूसरी ओर भारतीय संस्कृति एवं परम्पराओं की पुरज़ोर वकालत भी की गयी है। उन्होंने इस बात को रेखांकित करते हुए कहा कि धीमान जी गजलों में नये-नये प्रयोग खूब मिलते हैं।
सुप्रसिद्ध ग़ज़लकार विजय कुमार स्वर्णकार जी ने धीमान जी की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए बताया कि देश के शीर्षस्थ ग़ज़लकारों में धीमान जी का नाम आता है, यह उनकी ग़ज़ल की श्रेष्ठता को दर्शाता है, और यह उनकी सादगी, ईमानदारी तथा निरंतर सीखते रहने का प्रतिफल है । उन्होंने धीमान जी की गुरु भक्ति की भी प्रशंसा की । ध्यातव्य है कि अपने पाँचवे ग़ज़ल -संग्रह ‘ रास्ता दिल का’ को डॉ. धीमान जी ने अपने गुरु उस्ताद ‘ ख़्वाब’ अकराबादी को समर्पित किया है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में कोई दोष नहीं है जो इस पुस्तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है। स्वर्णकारजी ने कहा धीमानजी की ग़ज़लें सरल भाषा में हैं और पाठक को लगता है जैसे यह उसके ही दिल की बात हो।
सुप्रसिद्ध कवयित्री डॉ. कविता किरण जी ने भी ग़ज़ल -परंपरा की विस्तृत चर्चा करते हुए शायर धीमान जी की ग़ज़लों को उनकी ग़ज़लगोई के उजाले में पढ़ा ।
श्री विजय कुमार स्वर्णकार की धर्म पत्नी और सुप्रसिद्ध ग़ज़लकारा श्रीमती माधुरी स्वर्णकार जी ने भी डॉ.धीमान जी के शेरों की ख़ूबियों को गिनाते हुए ‘रास्ता दिल का ‘ के लिये शुभकामनाएँ दीं ।
इसके उपरांत उस्ताद शायर एवं अनेक शायरों के प्रेरणास्रोत आदरणीय श्री बालस्वरूप राही जी का आशीर्वाद ओडियो-वीडियो के माध्यम से सभी को सुनने को मिला । दिल्ली के शायर ,लेखक एवं समीक्षक श्री हरेराम समीप जी का भी पुस्तक पर अभिप्राय इसी रूप में सुनने को मिला । इसी क्रम में धीमान जी की बेटी दिव्या (अमेरिका) का पिता के प्रति गर्व एवं प्यार भी ओडियो -वीडियो के माध्यम से छलक उठा ।
इस भव्य एवं सफल कार्यक्रम का संचालन सफल मंचीय हास्य-कवि श्री दिनेश वशिष्ठ ने तथा धन्यवाद ज्ञापन श्री चन्द्रमोहन तिवारी ने किया ।
सभागार डॉ. प्रणव भारती, श्रीमती मंजु महिमा भटनागर, श्री ओंकार अग्निहोत्री, प्रो. विमल सिंह, श्री संपत लोहार, श्रीमती मधुप्रसाद, श्री जीतेंद्र चौहान, श्री संजीव प्रभाकर, डॉ अविनाश पाठक, श्री जुगनू जयपुरी, श्री सी पी वर्मा, श्री किशोर शाक्य, डॉ. भागिया खामोश, श्री सी एस शर्मा, श्री य़शपाल सिंह, आदि सुप्रसिद्ध शब्द-शिल्पियों ,विद्वानों ,हिंदी प्रेमियों तथा धीमान जी के कुटुंबीजन एवं मित्रों से गौरान्वित हो रहा था ।
सभागार में निरन्तर तालियों की गड़गड़ाहट एवं आकाश से बूँदों की अमृत वर्षा कार्यक्रम की सफलता की जैसे गवाही दे रहे थे।