20 फरवरी 2022 को ‘कर्मभूमि अहमदाबाद’ एवं ‘हस्ताक्षर वेब पत्रिका’ के संयुक्त तत्वावधान में एक पुस्तक चर्चा का आयोजन किया गया। इसमें चर्चा हेतु अहमदाबाद निवासी, लेखिका कुमुद वर्मा की तीन पुस्तकों ‘अध्यापन का इंद्रधनुष’, ‘हम तो बच्चे हैं’ और ‘भारत गौरव का चयन किया गया। जिन पर आमंत्रित अतिथियों ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम की शुरुआत संचालिका विनीता ए कुमार ने लेखिका के परिचय से की। उसके बाद संदीप जैन (सूरत) ने ‘अध्यापन के इंद्रधनुष्य’ से जुड़े अपने अनुभव साझा किए और उस पुस्तक के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने इस पुस्तक के लेखन में उपयुक्त भाषा की सराहना की और इसके उपयोग के विषय में भी संक्षेप में बताया।
श्री अनिल मंघानिया जी ने भी ‘अध्यापक के इंद्रधनुष’ पुस्तक पर ही बात की। उन्होंने अध्यापन की गुणवत्ता को बढ़ाने में इसकी सार्थकता के बारे में कहा। तत्पश्चात अंतरराष्ट्रीय महिला काव्य मंच की गुजरात प्रांत की अध्यक्षा, लेखिका एवं शिक्षाविद सुश्री मंजू महिमा जी को वक्तव्य के लिए आमंत्रित किया गया। उन्होंने कुमुद वर्मा की पुरस्कृत पुस्तक ‘हम तो बच्चे हैं’ पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने इसमें लिखी गई स्वर और व्यंजन को सिखाने वाली बाल कविताओं व मात्राओं और व्यंजनों के उच्चारण को दर्शाती कविताओं की अत्यधिक सराहना की। सुश्री मंजू महिमा द्वारा लिखी गई ‘हम तो बच्चे हैं की समीक्षा प्रकाशित हो चुकी है।
सलिला साहित्य संस्था सलूंबर की अध्यक्षा सुश्री विमला भंडारी जी ने इसी वर्ष आई पुस्तक ‘भारत गौरव’ पर चर्चा की। उन्हें भारत गौरव बहुत प्रशंसनीय एवं पठनीय लगी। उन्होंने इस में संकलित विभिन्न पात्रों और उनके कार्य की तथा उस कार्य को इस पुस्तक में संकलन करने के लिए कुमुद वर्मा की विशेष सराहना की। उन्होंने कहा वह इस तरह की पुस्तक एवं कुमुद जी के लेखन कार्य से बहुत प्रभावित हुई हैं।
कार्यक्रम के अंतिम चरण में प्रश्नोत्तरी थी जिसमें लेखिका कुमुद वर्मा जी से श्रोताओं द्वारा प्रश्न किए गए, जिनका उन्होंने बड़ी सहजता से जवाब दिया।
इस कार्यक्रम को कर्मभूमि के फ़ेसबुक पेज से लाइव प्रसारित किया गया था तथा यह कर्मभूमि की यूट्यूब लिंक पर उपलब्ध है। इसे ‘हस्ताक्षर’ के वीडियो सेक्शन में भी देखा जा सकता है।