करनी है तुमसे कुछ बात
चाँद – सितारों वाली रात
थोड़ी उजली, काली रात,
कहाँ चले ओ चंदामामा
करनी है तुमसे कुछ बात
पंद्रह दिन की छुट्टी लेकर
कहाँ चले तुम जाते हो?
कभी हवा से, कभी घटा से
जाने क्या बतियाते हो
क्यों गायब हो जाते हो
आती है जब भी बरसात,
कहाँ चले ओ चंदामामा
करनी है तुमसे कुछ बात
घूम –घूमकर आते हो
धरती सारी, अंबर सारा,
चमचम करता तुम्हारा मुखड़ा
लगता है कितना प्यारा
सीखोगे तुम ज्ञान की बातें
स्कूल चलो यदि मेरे साथ,
कहाँ चले ओ चंदामामा
करनी है तुमसे कुछ बात
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चंद्रलोक की सैर
एक रात मेरे सपनों में
आए चंदामामा,
पहना था उन्होंने सफ़ेद
कुर्ता और पैजामा।
बोले,मुन्ना चंद्रलोक की
सैर तुम्हें करवाऊँगा,
चाँदी की थाली में तुम्हें मैं
हलवा – पूड़ी खिलाऊँगा।
पेट था उनका बहुत बड़ा
मैं तो उस पर कूद पड़ा,
घर था उनका कितना प्यारा
झिलमिल तारों से जड़ा।
मन प्रसन्न हो गया मेरा
करके चंद्रलोक की सैर,
किंतु आगे चल नहीं पाया
थक गए मेरे नन्हें पैर।
जैसे ही चंदामामा ने
कहा, चलो अब खा लो,
तभी माँ ने कहा जगाकर
हो गई देर, नहा लो।