अक्टूबर 2017 ग़ज़लग़ज़ल-गाँव ग़ज़ल- हमारी रूह का रिश्ता क़ुबूल कर लेना कि जैसे हैं … ग़ज़ल-गाँव सुदेश कुमार मेहर