ભૂતકાળ અને ભવિષ્ય વચ્ચે ગોથાં ખાતાં ઘડિયાળના લોલકને ક્યારેય ધ્યાનથી જોયું છે? …
वैसे तो फुल टाइम होममेकर हूँ, लेकिन फ़ुर्सत के लम्हों में कलाकार।
और ये अन्दरूनी शौक़ कहानी, लघुकथा, माइक्रो-फ़िक्शन, कविता और स्कैच तक फैला है।
साहित्य सेतु, वार्ता सृष्टि, नवनीत समर्पण, ममता जैसे साहित्य समायिकों में मेरी रचनाओं को स्थान मिला है। दिव्य भास्कर और गुजरात समाचार जैसे अख़बारों में मेरी लघुकथ
वैसे तो फुल टाइम होममेकर हूँ, लेकिन फ़ुर्सत के लम्हों में कलाकार।
और ये अन्दरूनी शौक़ कहानी, लघुकथा, माइक्रो-फ़िक्शन, कविता और स्कैच तक फैला है।
साहित्य सेतु, वार्ता सृष्टि, नवनीत समर्पण, ममता जैसे साहित्य समायिकों में मेरी रचनाओं को स्थान मिला है। दिव्य भास्कर और गुजरात समाचार जैसे अख़बारों में मेरी लघुकथा और माइक्रो-फ़िक्शन छप चुके हैं। हाल के दिनों में अक्षरनाद ब्लॉग वेबसाइट पर 'आचमन' नाम से कॉलम लिख रही हूँ। शब्द की ये साधना अविरत चलती रहे उसी दिशा में सदैव प्रयत्नशील हूँ।
ભૂતકાળ અને ભવિષ્ય વચ્ચે ગોથાં ખાતાં ઘડિયાળના લોલકને ક્યારેય ધ્યાનથી જોયું છે? …
સવાર, બપોર,સાંજ, રાત – સમયના અલગ અલગ બિંદુઓને જેમતેમ જોડતી સુધા જીવનને …
“આ લો આ સામાનનું લિસ્ટ. એક પણ વસ્તુ ભુલાય નહિ.” મંજુએ હાથમાં …
બેકાળજી
છેક ઊંડે,
તળિયા સુધી ખૂંપાવી દીધી હતી,
એ બધી જ ક્ષણો…