सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया निवासी सुश्री जयश्री विनू मरचंटपेशे से एक सेवानिवृत्त क्लिनिकल लेबोरेटरी डीरेक्टर हैं। वे सुप्रसिद्ध गुजराती साहित्यकार भी हैं। वे "गुजराती लिटरेरी एकेडमी ऑफ नॉर्थ अमेरिका" के साथ में वे स्थापना के पहले दिन से जुड़ी हैं।
उनकी लेखन यात्रा 1970 के दशक में मुंबई में शुरू हुई थी। वि
सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया निवासी सुश्री जयश्री विनू मरचंटपेशे से एक सेवानिवृत्त क्लिनिकल लेबोरेटरी डीरेक्टर हैं। वे सुप्रसिद्ध गुजराती साहित्यकार भी हैं। वे "गुजराती लिटरेरी एकेडमी ऑफ नॉर्थ अमेरिका" के साथ में वे स्थापना के पहले दिन से जुड़ी हैं।
उनकी लेखन यात्रा 1970 के दशक में मुंबई में शुरू हुई थी। विगत 34 वर्षों से फिलाडेल्फिया से प्रकाशित "गुर्जरी" पत्रिका में उनकी कहानियाँ, ग़ज़लें, अछांदस कविताएँ और निबंध प्रकाशित होते रहते हैं। प्रकाशित पुस्तकों में उपन्यास "पड़छायाना माणस", गज़ल संग्रह "वात तारी ने मारी छे", काव्य संग्रह "लीलोछम टहुको" प्रमुख हैं। उपन्यासों का एक संग्रह और एक चरित्र निबंध प्रकाशनाधीन है।
वर्ष 2020 तक, जयश्री जी ने "दावडानु आंगणु” ब्लॉग के प्रधान संपादक के रूप में काम किया और उसी ब्लॉग को 13 नवंबर, 2020 से “आपणु आंगणु” नाम से नया रूप धारण किया। जिसमें युवा लेखक, कवि श्री हितेन आनंदपरा इसके प्रधान संपादक के के रूप में उनका साथ दे रहे हैं।“आपणु आंगणु” में प्रतिष्ठित लेखकों के उपन्यास, लघु कथाएँ, निबंध, कविता और निबंध तथा विश्व साहित्य में उपलब्ध कहानियों के भावानुवाद और समीक्षाप्रकाशित होते हैं, साथ ही लेखन के क्षेत्र में आई नई प्रतिभाओं को भी उचित स्थान दिया जाता है।
इस ब्लॉग ने गुजराती भाषा और साहित्य के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उपयुक्त फेकल्टी को आमंत्रित करके गीत, ग़ज़ल, कहानी, निबंध और भाषा विज्ञान पर अकादमिक शिविर नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं। गुजराती साहित्यकारों के ऑनलाइन कार्यक्रम भी नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं, ताकि गुजराती भाषा को भुलाया न जा सके।“आपणु आंगणु” न केवल भारत में बल्कि यूके, यूएसए, अफ्रीकी देशों, चिली, ब्राजील जैसे दक्षिण अमेरिकी देशों,दुबई, मस्कत, श्रीलंका, सिंगापुर, हांगकांग, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में भी पढ़ा जाता है।