अर्वाचीन संस्कृत साहित्य का आकाश विविध विधा रूपी ऩक्षत्रों से भरा हुआ
परिचय :
सम्प्रति- युवा संस्कृत कवि एवं अनुवादक
प्रकाशन- 2 काव्यसंग्रह सहित 5 पुस्तकें प्रकाशित
संपर्क -
मालादेवी मौहल्ला
वार्ड संख्या - 36
बारां
जिला - बारां
पिन -325205
मोबाइल- .09460004244
लैंडलाइन - 07453232769
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सम्प्रति- युवा संस्कृत कवि एवं अनुवादक
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अर्वाचीन संस्कृत साहित्य का आकाश विविध विधा रूपी ऩक्षत्रों से भरा हुआ
हृदयेभ्योऽनुरागो निर्गत:
देवालयेभ्यो देवो निर्गत:
दिलों से प्रेम निकल गया
मंदिरों से …
राजा
(सन्नन्तप्रकरणे गजलगीति:)
पराजयस्व नु जिगीषति राजा
प्रवाहय रक्तं तितीर्षति राजा
हार …
ग़ज़ल
1.
क्षेत्रे जडा तिष्ठति चञ्चा
सजीवान् भाययति चञ्चा
चित्रित नेत्राभ्यामप्यहो!
सर्वत्रैव …
जयतु संस्कृतम्
ग्रथितं मया
प्रत्नवर्षमौक्तिकम्
अब्दमालायाम्||1||
गूंथा है मैंने
पुराने साल के …
जयतु संस्कृतम्
(1)
सागरं तु कथमपि तीर्णोऽहम्।
तटमागत्य हन्त! मग्नोऽहम्।।
श्रमशोणितसिंचितमहोत्सवे
नास्ति …
जयतु संस्कृतम्
कविता
तव नेत्राभ्यां वञ्चितेन
हर्षो लब्धो मदिरालये
रिक्तो भूत्वापि चषकेण…
जयतु संस्कृतम्
मातुल!
कियान् सुन्दरोऽसि त्वं मातुल!
मम तु प्रियोऽसि त्वं मातुल!…
जयतु संस्कृतम्
बाल कविताएँ-
मातुल!
कियान् सुन्दरोऽसि त्वं मातुल!
मम तु प्रियोऽसि …
कविता
संस्कृत त्रिपदिका
(1)
कवितैव चिनोति सदैव,
कविं स्वेच्छया,
कविर्न कदापि।।
(2)…