नायोध्यास्ति सुरक्षिता भुवि हरे! श्रीगोकुलं हे प्रभो!
नैवेयं मथुरा न चास्ति भगवन्! …
परिचय :
जन्मतिथि- 10 मार्च 1979
जन्मस्थान- गोपालगंज (बिहार)
शिक्षा- एम. ए, पी.एच-डी
सम्प्रति- प्रवक्ता (संस्कृत), प्रधानसम्पादक, काव्यामृतवर्षणी
प्रकाशन/प्रसारण- सांख्यमुक्तावली, वासुदेवचरितम् (महाकाव्य), काव्योद्यानम्, अन्योक्तिनिर्झर:, हा हन्त (उपन्यास), नीतिकल्पद्रुम:, बालगुंजनम्, क
परिचय :
जन्मतिथि- 10 मार्च 1979
जन्मस्थान- गोपालगंज (बिहार)
शिक्षा- एम. ए, पी.एच-डी
सम्प्रति- प्रवक्ता (संस्कृत), प्रधानसम्पादक, काव्यामृतवर्षणी
प्रकाशन/प्रसारण- सांख्यमुक्तावली, वासुदेवचरितम् (महाकाव्य), काव्योद्यानम्, अन्योक्तिनिर्झर:, हा हन्त (उपन्यास), नीतिकल्पद्रुम:, बालगुंजनम्, काव्यसुधाब्धि:, मातृपंचाशिका, मित्रपंचाशिका, श्वशुरालयपंचाशिका, सूक्तिसौरभम्।
रेडियो काव्यपाठ प्रसारण दिल्ली।
सम्मान/पुरस्कार- 'साहित्य पुरस्कार- 2017' उ, प्र, सं, सं, लखनऊ
पता- आ. वै. वि. इ. का. बागपत
नायोध्यास्ति सुरक्षिता भुवि हरे! श्रीगोकुलं हे प्रभो!
नैवेयं मथुरा न चास्ति भगवन्! …
राष्ट्राष्टकम्
षड्यन्त्रं न विदन्ति हन्त मुखरा नित्यं विवादे रता:
पङ्कं बन्धुषु संक्षिपन्ति …
सूक्तय: सक्तवश्चापि रोचन्ते न: सुखप्रदा:।
सर्वेभ्यो वा भवद्भ्यो वा सावलेहा न संशय:।। …
अयि कालिदास! महाकवे! रघुवंशकीर्तननिर्झरी
श्रीरामगीतिधरा मनोज्ञा भव्यभावविभाकरी
हरते प्रिया मृदु तेऽद्भुता रचना …
कवे! पदे पदे कथं कृतघ्नता वितन्यते?
कवे! पदे पदे कथं कृतघ्नता वितन्यते? …
यदि नास्ति जीवने कथा श्वसनेन तेन किम्।
यदि नास्त्यहो कवे व्यथा कवनेन …
दृष्ट्वोन्नतं गिरिं वृथा त्वं मित्र! खिद्यसे?
रे वप्र! रे लघो! वृथा त्वं …
स्वातन्त्र्य-शौर्यमनारतं बलिदानिनां संस्मारयन्
विभ्राजमानो$यं मनोज्ञो देशभक्तिं शिक्षयन्
संवर्द्धयन् सद्भावनां भुवनत्रये नोनूयते
भव्यस्तिरंगा …