ज़िंदगी जी नहीं है
ज़िंदगी को झेला है
यार तुम न समझोगे…
परिचय :
असिस्टेण्ट प्रोफेसर (संस्कृत विभाग)
मदर टेरेसा महिला महाविद्यालय, सुल्तानपुर
सम्पर्क- कमरा न.- 77, बीरबल साहनी शोध छात्रावास,
लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ (उ.प्र.)
परिचय :
असिस्टेण्ट प्रोफेसर (संस्कृत विभाग)
मदर टेरेसा महिला महाविद्यालय, सुल्तानपुर
सम्पर्क- कमरा न.- 77, बीरबल साहनी शोध छात्रावास,
लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ (उ.प्र.)
ज़िंदगी जी नहीं है
ज़िंदगी को झेला है
यार तुम न समझोगे…
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पुस्तक समीक्षा
‘सुभाषितसुधाबिन्दु:’ नैतिकता का पाठ पढ़ाती कविताएँ
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पुस्तक समीक्षा
रक्तशाटीधारिणी माता: जीवन के यथार्थ से संवाद करती कहानियाँ
साहित्य …
जयतु संस्कृतम्
मामकीनं गृहम् : समय का सार्थक स्वर
समकालीन संस्कृत साहित्य …
जयतु संस्कृतम्
आधुनिक संस्कृत साहित्य के जनकवि: डॉ.निरंजन मिश्र
जनकवि वह होता …
विमर्श
समकालीन कवियों की दृष्टि में महामारी कोरोना
– डॉ. अरुण कुमार …
कथा-कुसुम
लघुकथा- दुआएँ
हे सखी! जल्दी-जल्दी लंच पैकेट तैयार करो, न जाने …
पत्र-पत्रिकाएँ
समकालीन संस्कृत कवियों की कविताओं का अद्वितीय संकलन
आधुनिक संस्कृत कविताओं …