सुपरिचित कवयित्री चित्रा देसाई की दूसरी पुस्तक “दरारों में उगी दूब” खासा …
मूलतः हिमाचल प्रदेश से जुड़ी, दिल्ली में जन्मीं , लेडी श्रीराम कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर द्वय ( हिंदी, संस्कृत ),एम फील और पी-एच. डी। गत 37 वर्षों से बिहार में निवास।
गत उनतीस वर्षों से अध्यापन के साथ- साथ आकाशवाणी व दूरदर्शन से संचालक और विशेषज्ञ के रूप में जुड़ाव। रेडियो फीचर , वार्ताएँ ,ना
मूलतः हिमाचल प्रदेश से जुड़ी, दिल्ली में जन्मीं , लेडी श्रीराम कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर द्वय ( हिंदी, संस्कृत ),एम फील और पी-एच. डी। गत 37 वर्षों से बिहार में निवास।
गत उनतीस वर्षों से अध्यापन के साथ- साथ आकाशवाणी व दूरदर्शन से संचालक और विशेषज्ञ के रूप में जुड़ाव। रेडियो फीचर , वार्ताएँ ,नाटक, समीक्षा, बालगीत, कविता व कहानी लेखन में रूचि।
जुगनी, खुली छतरी, साँझ का नीला किवाड़, मौन का महाशंख,जीतो सबका मन, एक टीचर की डायरी, एक सपना लापता (उपन्यास) आदि कविता, कहानी और बालगीत की दस पुस्तकें प्रकाशित।
अनेक कविताओं का जापानी भाषा में और कहानियों का पंजाबी और उर्दू मे अनुवाद।
इंदौर में हुए सर्वभाषा कवि सम्मेलन में, बिहार सरकार द्वारा आयोजित "कविता समारोह" में और भारत- जापान द्वारा जे० एन०यू० में आयोजित पोएट्री सिम्पोजियम में (दो बार) काव्य- पाठ।
बिहार में हुए "जागरण संवादी" कार्यक्रम और पटना लिटरेचर फेस्टिवल में भागीदारी, छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा रायपुर में आयोजित त्रिदिवसीय कार्यशाला " हिंदी हैं हम" और दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित कार्यशाला का संचालन। इंडोनेशिया में "रामायण का वैज्ञानिक सन्दर्भ" पर व्याख्यान।
"गुलाब का फूल '' को सर्वश्रेष्ठ कहानी का मधुबन सम्बोधन पुरस्कार।
TERI संस्था द्वारा "प्रायश्चित" कहानी को सर्वश्रेष्ठ कथा का पुरस्कार।
साहित्य सम्मेलन, बिहार द्वारा साहित्य- सेवी और साहित्य शताब्दी पुरस्कार, शाद अजीमाबादी सम्मान,
दैनिक जागरण व नव अस्तित्व फाउंडेशन द्वारा साहित्य के लिए वीमेंस अचीवमेंट अवार्ड, दैनिक भास्कर द्वारा शिक्षक सम्मान।
अन्य अनेक नामित पुरस्कार।
सम्प्रति : ए एन कॉलेज पटना में अध्यापन।
सुपरिचित कवयित्री चित्रा देसाई की दूसरी पुस्तक “दरारों में उगी दूब” खासा …