ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री कमल विजयवर्गीय ने बताया कि जापान में भारतीय कला और संस्कृति को लेकर बहुत जिज्ञासा रहती है, इसी का परिणाम है कि वहां से आए प्रतिष्ठित मेहमानों और कला प्रेमियों ने भारतीय कलाकारों के सृजन में विशेष रुचि ली है। इस अवसर पर शहर के कई गणमान्य कलाकार और रचनाकार उपस्थित रहे। इस बार शिविर के दौरान लगभग पचास से अधिक कलाकारों ने शिविर कैंपस में पांच दिन उपस्थित रह कर विभिन्न विषयों पर नयनाभिराम चित्र बनाए जिनमें से पांच सर्वश्रेष्ठ चुने गए चित्रों को पुरस्कार प्रदान किए गए। पुरस्कृत कलाकारों में विनायक मेघवाल, वसीम खान, टीना लालावत, अंजली राठौड़, प्रतीक्षा जैन, कविराज, विपुल दाधीच और गौरव सोनी का समावेश है। सर्वश्रेष्ठ चुने गए चित्रों को 5 हज़ार प्रत्येक, तथा सांत्वना पुरस्कार के रूप में दो हज़ार रू प्रत्येक प्रदान किए गए।इन्हें ये कलाकार राजस्थान विश्वविद्यालय, कनोड़िया कॉलेज, राजस्थान कॉलेज ऑफ आर्ट्स तथा अन्य संस्थानों में अध्ययनरत हैं। कुछ स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाले कलाकार भी शिविर में शामिल रहे। अतिथियों ने इस बात पर हार्दिक प्रसन्नता जताई कि शिविर में महिलाओं, छात्राओं की संख्या उत्तरोत्तर बढ़ती जा रही है।
चित्रों का मूल्यांकन ट्रस्ट द्वारा निर्धारित निर्णायकों के एक समूह ने किया। उल्लेखनीय है कि ट्रस्ट द्वारा जब भी इन चित्रों को बिक्री के लिए रखा जाता है तो इनसे प्राप्त होने वाली समस्त राशि संबंधित कलाकार को ही प्रदान की जाती है। समापन के अवसर पर आए अतिथियों ने कलाकारों द्वारा बनाए गए चित्रों का अवलोकन भी किया। कार्यक्रम का संयोजन और संचालन प्रबोध कुमार गोविल ने किया।
1. झनक – यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान की लॉ फैकल्टी की छात्रा हैं लेकिन उनका पैशन कला ही है। वो अपने करियर में हमेशा इसे साथ में रखना चाहती हैं।
2. प्रियांशु – आकाश इंस्टीट्यूट के विद्यार्थी हैं। कला से जुड़े रहना उनका सपना है किंतु वो वित्तीय सुदृढ़ता के लिए किसी नौकरी की तैयारी भी साथ साथ करना चाहते हैं।
3. योगिता – यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान के कला संकाय की छात्रा हैं। वो कला में ही अपना भविष्य देखती हैं।
4. कोटा के विनायक मेघवाल – ( राजस्थान कॉलेज ऑफ आर्ट्स) अपना आर्ट स्टूडियो खोलना चाहते हैं और कला को ही अपना व्यवसाय बनाना चाहते हैं।
5. पवन कुमार ने भी गहरी रुचि के चलते इस करियर को अपनाने का फैसला किया है।
6. राजस्थान विश्वविद्यालय की खुशी व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाते हुए पहले अपना आर्थिक आधार बनाने वाले समानांतर पाठ्यक्रम के साथ कला के लिए समय देना चाहती हैं।
7. दिल्ली के एकलव्य शर्मा भी राजस्थान की कला और हेरिटेज से प्रभावित होकर आधुनिक सुविधाओं सहित कला को करियर बनाना चाहते हैं। वो डिजिटल वर्ल्ड से कला को और निखारने के लिए प्रतिबद्ध हैं।