हायकु
मिलन आस
ले आया मधुमास
भोंरे चहके
तितली भोली
कहे आ रे बसंत
भर दे झोली
ऋतु है भली
अलि निहारे कलि
प्रेम चक्षु से
पीत वसन
पहने गुलशन
सरसों जड़े
खुमारी छाई
ले पुष्प अँगडाई
कली शर्माई
हरी सौगात
झरे पीले से पात
दानी बसंत
पीत वसन
ऋतुराज बसंत
आया पहन
सुध बिसरी
महका तन मन
प्रिय बसंत
पिया बसंती
देखत इठलाई
धरा लजाई
ऋतु बसंत
पुष्प सभी महके
पक्षी चहके
बिछोह अंत
संकेत मिलन का
देता बसंत
मधुर कंठ
ऋतुराज बुलाये
कोयल गाये
मन उदास
बसंत भर देता
जीने की आस
कौन ऋतु ये
थिरकन ये कैसी
कली चहकी
अलि गुंजार
कली करे श्रुंगार
प्रेम बयार
छलिया मास
रंग में रंग जाती
धरा बासंती
घर आँगन
स्वागत है बसंत
कहे हंसके
आया बसंत
खिलते उपवन
कोयल कूके
जी उठी फिर
धरा लगी झूमने
देख बसंत
पपीहा गाये
नाचे मनवा मोर
बासंती भोर
– सपना मांगलिक