आत्म-रक्षा इतनी कठिन नहीं, जानिये दीप्ति शंकर से
दीप्ति शंकर, प्यार से लोग इन्हें ‘डी’ बुलाते हैं. ये पिछले पांच वर्षो से आत्मरक्षा को समर्पित संस्था ‘फिटकोम्ब’ से जुड़ी हैं और भारत की पहली महिला प्रशिक्षक हैं जिन्होंने KAPAP में इज़राइल में प्रशिक्षण लिया है। बीते माह एक वर्कशॉप के दौरान इनसे मिलना हुआ। स्वभाव से बेहद मिलनसार, खुशमिजाज़ और दृढ़-निश्चयी दीप्ति से मिलकर लगा ही नहीं कि ये उनसे मेरी पहली मुलाक़ात है! इनके कार्यों और संस्था के बारे में जानकर बहुत प्रसन्नता हुई। दीप्ति ने न केवल कई महिलाओं और छात्राओं को इस कला में पारंगत किया है बल्कि उनका आत्मविश्वास बढ़ाने में भी सहायक सिद्ध हुई हैं !
कभी ‘फैशन इंडस्ट्री’ का हिस्सा रहीं दीप्ति का शुरूआती जीवन एक आम लड़की की तरह डर और ख़ामोशी में ही बीता। जब इन्होने सब कुछ छोड़कर ‘सेल्फ डिफेंस’ की ट्रेनिंग में जाने का निश्चय किया तो इनके माता-पिता का विश्वास और कैप्टन जोशी के प्रोत्साहन ने इन्हें आगे बढ़ने में मदद की।
दीप्ति कहती हैं कि “हमें हर वक़्त तैयार रहना चाहिए क्योंकि मुसीबत बताकर नही आतीं और न ही लिंग भेदभाव करती है। लड़के-लड़कियों, बच्चों-बड़ों सबको अपनी सुरक्षा के लिए सक्षम होना चाहिए। हमने अपनी तरफ से पहल की है और उम्मीद करते हैं कि आनेवाले दिनों में हर भारतीय स्वयं रक्षक बनेगा!”
‘स्त्री सशक्तिकरण’ से जुड़ने का कारण पूछने पर उनका कहना था, “मैं भारत के विभिन्न हिस्सों में पली-बढ़ी लड़की हूँ और मेरे हिस्से के अनुभव भी रहे हैं! हर उम्र पर कहीं-न-कहीं ऐसा महसूस होता था कि ऐसा कुछ करूँ जिससे अपने आप को हर तरीके से सक्षम और मज़बूत महसूस कर सकूँ। इसीलिए मैने फिटकोम्ब में अपने आप को ट्रेन करना शुरू किया और अपने अंदर बदलाव महसूस हुआ। इसी विश्वास को मैं हर लड़की, हर नारी तक पहुँचाना चाहती हूँ और इसी चाहत ने मेरे अंदर के ट्रेनर/टीचर को जन्म दिया।”
क्या इससे स्त्रियों की सोच में बदलाव संभव है ? इस बात पर उन्होंने एक अनुभव भी साझा किया – “बिल्कुल संभव है और हमने ऐसा होते देखा है। जब हर उम्र की लड़कियाँ, महिलायें हमें पत्र, मेल और टेस्टिमोनीयल्स भेजती हैं तो हमें अपनी सफलता महसूस होती है। शेयर करने के लिए ऐसे कई किस्से हैं। एक विद्यार्थी ने हमारी वर्कशॉप अटेंड की और अगले दिन अपनी प्रिन्सिपल को बताया कि थोड़े दिन पहले बस कंडक्टर उसे गलत तरीके से शर्ट पर छुआ था। उस वक़्त डर के मारे वो कुछ कह नहीं पाई थी लेकिन हमारे सेशन के बाद उसमे यह बताने की हिम्मत आई और उसका डर, आत्मविश्वास में परिवर्तित हो गया। मुझे लगता है ये हमारी उपलब्धि है!”
कुछ सामान्य प्रश्न, जो आप पाठकों के मन में आये होंगे –
Fitcomb क्या है ?
Fitcomb stands for Functional Intense training in Combat.
यह भारतीय सेना के एक पूर्व अधिकारी कैप्टन जयप्रीत जोशी द्वारा शुरू की गई संस्था है जिन्होंने अपने पसंदीदा कार्य को इस व्यवसाय में तब्दील कर हजारों लोगों को प्रशिक्षित करने का बीड़ा उठाया। इस संस्था का मुख्य कार्यालय दिल्ली में है। पिछले छह वर्षों में इनके प्रशिक्षक भारत और इसके बाहर करीब चालीस हजार लोगों को प्रशिक्षण दे चुके हैं।
KAPAP क्या है ?
कपाप एक बहुत ही सरल Reality based मार्शल आर्ट्स की शैली है जिसमे मज़बूत दिमाग़ और सशक्त इरादों पर ज़ोर दिया जाता है। इसको सीखना और इस्तेमाल में लाना बेहद आसान है। दीप्ति ने बताया , “मेरे लिए मार्शल आर्ट्स की दुनिया बिल्कुल नयी थी और इस फील्ड में आने के बाद मुझे ऐसा लगता है कि अगर इरादे बुलंद हो तो कुछ भी मुश्किल नहीं। हम हर रोज़ नयी चीज़ें सीखते हैं। रिसर्च और डेवेलपमेंट करते रहते हैं ताकि हम क्राइम से आगे चलें और यही ‘कपाप’ की खूबसूरती है….यह सतत सीखने की प्रक्रिया है !
भारत में हम एक ही संस्था हैं जो ऐसी ट्रैनिंग्स के लिए सर्टिफाइड है। हमारी टीम इज़राईल में ट्रेन की गयी है और हमने इसे भारतीय माहौल के मुताबिक मोल्ड किया है।”
टीम और उसकी कार्यशैली –
टीम के सदस्य 3 सेगमेंट्स में काम करते हैं-
1. यूनिफॉर्म्ड सेक्टर- आर्मी, पुलिस और सेक्यूरिटी एजेन्सीस
2. कॉर्पोरेट – महिलाएँ व पुरुष
3. संस्थाएँ – स्कूल और कॉलेज
कैप्टन जोशी, दीप्ति शंकर, उनकी साथी नेहा शिलाल और fitcomb से जुड़े सभी साथियों को इस नेक कार्य को प्रारम्भ करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद ! आशा करते हैं यह संस्था इसी कर्मठता से आत्मसुरक्षा प्रशिक्षण कार्य में जुटी रहेगी और एक सुरक्षित समाज की कल्पना शीघ्र ही साकार होगी!
विस्तृत विवरण के लिए कृपया इन लिंक्स पर क्लिक करें –
http://www.kapapacademy.com/
– प्रीति अज्ञात