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नववर्ष पर विशेष लेख: घनश्याम बादल
कैसे कैसे साल नए!
पूरे साल मनाएँ हैप्पी न्यू ईयर!
लीजिए 2016 गया और 2017 आ गया। एक और नया साल, जीवन के पन्नों और उम्र की डायरी में एक और नई एंट्री दर्ज करता एक और नववर्ष हर ओर से आती बधाईयों के बीच कुछ नया सोचने, करने के संकल्प लेने और पिछले साल की गई या हो गई गल्तियों व उपलब्धियों को पलटकर देखने, उन पर चिंतन-मनन करने का क्षण। खुशियाँ मनाने सेलिब्रेट करने का अवसर तो है ही नया साल। कुछ आगे के प्लान बनाने, लक्ष्य निर्धारित करने का मौका भी है।
भारत ही नहीं, सारी दुनिया मनाती है नए साल का जश्न अपने-अपने रंग-ढंग और वक़्त पर। नव वर्ष एक उत्सव की तरह पूरे विश्व में अनेक तिथियों व तरीकों से मनाया जाता है। तो आइए नज़र डालते हैं किसिम-किसिम के नववर्षों व उनके सैलिब्रेशन के तौर तरीकों पर-
सबसे पाॅपुलर न्यू ईयर:
पूरी दुनिया में सबसे ज़्यादा जोश रंगीनी व शान-औ-शौकत से मनाए जाने वाला न्यू ईयर ग्रेगोरियन कैलेंडर पर आधारित है। जो हर साल एक जनवरी से शुरु होकर 31 दिसंबर तक चलता है। इसकी शुरुआत रोमन कैलेंडर से हुई 2017 साल पहले हुई थी। जबकि पारंपरिक रोमन कैलेंडर का नववर्ष एक मार्च से शुरू होता है। प्रसिद्ध रोमन सम्राट जूलियस सीजर ने 47 ईसा पूर्व में इस कैलेंडर में परिवर्तन किया और इसमें जुलाई माह जोड़ा। इसके बाद उसके भतीजे के नाम पर इसमें अगस्त माह जोड़ा गया। दुनिया भर में आज जो कैलेंडर प्रचलित है, उसे पोप ग्रेगोरी अष्टम ने 1582 में तैयार किया था। ग्रेगोरी ने पृथ्वी के सूरज के पक्रिमण की गति के आधार पर इसमें लीप ईयर का प्रावधान किया था क्योंकि पृथ्वी सूरज का एक चक्कर 365 दिन व करीब 6 घंटे में पूरा करती है, जिसकी वजह से हर चौथे साल उसमें एक दिन जुड़ जाता है। इस वर्ष का निर्धारण भी 4 से विभक्त होने वाले सन जैसे 2016 था के नियम से किया जाता है ताकि ग़फ़लत न रहे। और यह क्रिसमस डे के सबसे नज़दीक पड़ने वाला साल भी है।
पर भले ही एक जनवरी से शुरु होने वाला साल सबसे लोकप्रिय व दुनिया के सबसे बड़े हिस्से में क्यों न मनाया जाए पर हर देश अपनी परंपरा, संस्कृति व स्थानीय ज़रूरत और रिवायत के अनुसार भी नए साल को मनाता है। आइए इस मौके पर देखें कोनसा देश कब व कैसे मनाता है नया साल।
चंद्रकला आधरित इस्लामी नववर्ष:
इस्लामिक कैलेंडर को मानने वाले मुस्लिम देशों में नया साल मुहर्रम से शुरु होता है। इस्लामी कैलेंडर चन्द्रमा की गति पर आधारित कैलेंडर है, जिसके कारण इसके बारह मासों का चक्र 33 वर्षों में सौर कैलेंडर को एक बार घूमा लेता है। इसी वर्ष के कारण नव वर्ष प्रचलित ग्रेगरी कैलेंडर में अलग-अलग महीनों में पड़ता है। इस्लाम धर्म के कैलेंडर को हिजरी साल के नाम से भी जाना जाता है। हिजरी कैलेंडर कर्बला की लड़ाई के पहले ही निर्धारित कर लिया गया था। मोहर्रम के दसवें दिन को ‘आशूरा’ के रूप में जाना जाता है। इसी दिन पैगम्बर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन बगदाद के निकट कर्बला में शहीद हुए थे। हिजरी कैलेंडर के बारे में एक दिलचस्प बात यह है कि इसमें चंद्रमा की घटती-बढ़ती चाल के अनुसार दिनों का संयोजन नहीं किया गया है। लिहाजा इसके महीने हर साल करीब 12 दिन पीछे खिसक जाते हैं।
लाल चीन, रेड़ न्यू ईयर:
चीन हर साल चीनी कैलेंडर के अनुसार प्रथम मास का प्रथम चन्द्र दिवस नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है। यह प्रायः 21 जनवरी से 21 फरवरी के बीच पड़ता है। चीन में एक महीने पहले से ही घरों की सफाई और रंग-रोगन चालू हो जाता है। कम्यूनिस्ट चीन में लाल रंग महत्वपूर्ण है, अतः खिड़की दरवाजे इसी रंग से रंगे जाते हैं। कागज के बंदनवार और सजावट की जाती है और लाल रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। साल की आखिरी रात के भोजन के बाद सारा परिवार एक साथ ताश या चौपड़ जैसा कोई खेल खेलते हुए या टीवी देखते हुए नए साल की प्रतीक्षा करता है। अगले दिन बच्चों और अविवाहितों को खुशियों के प्रतीक के रूप में रकम से भरा लाल लिफाफा भेंट किया जाता है।
म्यांमार का खुशबूदार ‘तजान’:
कभी ब्रह्मा या बर्मा के नाम से ख्यात म्यांमार में नव वर्ष के उत्सव को ‘तजान’ कहते हैं, जो अप्रैल के मध्य में तीन दिन मनता है। भारत में होली की तरह इस दिन एक-दूसरे को पानी से भिगाने की परंपरा इस पर्व का प्रमुख अंग है। अंतर इतना है कि इस पानी में रंग की जगह इत्र होता है। प्लास्टिक की पिचकारियों में पानी भर कर लोग बिना छत की गाडि़यों में सवार हो एक-दूसरे पर खुशबूदार पानी की बौछारें करते चलते हैं।
जापान का नीट एंड क्लीन ‘याबुरी’:
सफाई पसंद जापानी पहले नववर्ष ‘याबुरी’ 20 जनवरी से 19 फरवरी के बीच मनाते थे, पर अब यह 29 दिसम्बर की रात से 3 जनवरी तक मनाया जाता है। दीवाली की तरह घर की सफाई इस त्योहार का महत्वपूर्ण हिस्सा है। बौद्ध और शितो मंदिरों की भी बड़े आयोजन के साथ दिसंबर में ही सफाई और सजावट आरंभ हो जाती है। सजावट में पाइन बांस और प्लम पेड़ों के विभिन्न हिस्सों का उपयोग किया जाता है और घर के बाहर रोशनी की जाती है।
ईरान का मीठा ‘नौरोज’:
ईरान का नव वर्ष ‘नौरोज’ कहलाता है, जो सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने के दिन शुरु होता है। यह अकेला ऐसा मुस्लिम पर्व है, जिसका मुहम्मद साहब से कोई संबंध नहीं है। इस दिन लोग भोजन, मिठाइयों और उपहारों की तश्तरियाँ एक-दूसरे के घर भेजते हैं।
वहाँ साल के अंतिम सप्ताह में सब लोग बाजार रोशनी से जगमगाते हैं। नये साल का यह उत्सव बारह दिनों तक चलता है। नवरोज़ में मेज की सजावट का विशेष महत्व होता है और इसको हफ्तसिन कहते हैं। सिन अर्थात ‘स’ अक्षर से शुरू होने वाले सात व्यंजन परोसे जाते हैं। बच्चे सेंटाक्लाज की तरह हाजी फिरूज का रूप धारण करते हैं।
यें भी हैं हैप्पी न्यू ईयर:
प्राचीन फ्रांस में एक अप्रैल से अपना नया साल प्रारंभ करने की परंपरा थी। यह दिन अप्रैल फूल के रुप में भी जाना जाता है। थाईलैंड, श्रीलंका, कम्बोडिया और लाओस के लोग 27 अप्रैल को बौद्ध नववर्ष मनाते हैं। तो दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, बंगाल व तमिल क्षेत्रों में नया वर्ष 14 अप्रैल को मनाया जाता है। इसी दिन श्रीलंका का राष्ट्रीय नववर्ष भी मनाया जाता है। जबकि आरमेनियन कैलेण्डर 9 जुलाई से प्रारंभ होता है।
एक भारत अनेक नए साल:
विविधता के पर्याय भारत में एक नए साल विक्रम संवत का प्रारंभ चैत्र से होता है, जो लगभग मार्च-अप्रैल के करीब पड़ता है और शक संवत का प्रारंभ कार्तिक से जो अक्तूबर-नवंबर के आसपास आता है। जबकि नानक शाही कैलेण्डर का नव वर्ष होला मोहल्ला 14 मार्च से शुरू होता है। वहीं पंजाब में ही नया साल बैशाखी नाम से 13 अप्रैल को भी मनाते हैं। इसी तिथि के आसपास बंगाली तथा तमिल नव वर्ष भी आता है। तेलगु नया साल मार्च-अप्रैल के बीच आता है। आंध्रप्रदेश में नववर्ष ‘उगादी’ चैत्र महीने का पहला दिन होता है। केरल नया साल विशु 13 व14 अप्रैल को तो तमिलनाड पोंगल 15 जनवरी को नए साल के रूप में आधिकारिक तौर पर मनाता जाता है। कश्मीरी कैलेंडर ‘नवरेह’ 19 मार्च को होता है। वहीं महाराष्ट्र में गुड़ी-पड़वा के रूप में मार्च-अप्रैल के महीने में मनाया जाता है। सिंधी नव वर्षउत्सव चेटी चंड और गुड़ी-पड़वा एक ही दिन मनाया जाता है। जबकि मारवाड़ी नया साल दीपावली के दिन होता है तो गुजराती नया साल दीपावली के दूसरे दिन होता है, जो अक्टूबर या नवंबर में आती है। बंगाली नया साल ‘पोहेला बैसाखी’ 14 या 15 अप्रैल को आता है। तो हिन्दुओं का नया साल चैत्र नव रात्रि के प्रथम दिन मनाया जाता है।
और भी हैं नववर्ष भारत के:
भारत कैलैंडरों में विक्रम संवत, शक संवत, हिजरी संवत, फसली संवत, बांग्ला संवत, बौद्ध संवत, जैन संवत, खालसा संवत, तमिल संवत, मलयालम संवत, तेलुगु संवत आदि तमाम साल भी प्रचलित हैं।
इनमें सर्वाधिक प्रचलित संवत विक्रम और शक संवत है। यह संवत 58 ईसा पूर्व शुरू हुआ था और चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है। इसी समय चैत्र नवरात्र प्रारंभ होता है। शक सवंत को शालीवाहन शक संवत के रूप में भी जाना जाता है। इसे शक सम्राट कनिष्क ने 78 ई. में शुरू किया था। स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने इसी शक संवत में मामूली फेरबदल करते हुए इसे राष्ट्रीय संवत के रूप में अपनाया। राष्ट्रीय संवत का नव वर्ष 22 मार्च को होता है जबकि लीप ईयर में यह 21 मार्च होता है।
तो इतने सारे हैप्पी न्यू ईयर्स जानने के बाद आप एक जनवरी से लेकर कितनी ही तिथियों को न्यू ईयर के रूप में सैलिब्रेट कर सकते हैं। पर हाँ, संकल्प जरुर लें, लक्ष्य जरुर तय करें और सैलिब्रेशन के साथ ही उन्हें पाने के लिए कमर कसकर मेहनत भी करें। बेशक सफलता तो मिलेगी ही और इसी सक्सेस के नाम पर अभी तो एक जनवरी को ही करते हैं सैलिब्रैट। तो विश यू ए वैरी वैर हैप्पी न्यू ईयर।
– घनश्याम बादल