हायकु
प्रकृति से जुड़े चंद हायकु
शांत पवन
गम्भीर हुआ नभ
उमड़े मेघ
पुरवा हवा
समुद्र से मिलाप
बनाती मेघ
सागर रूठा
तलहटी खिसकी
आई सुनामी
कटते वृक्ष
वन हुए शहर
मेघ नाराज़
हरित क्रांति
अब कल की बात
प्रकृति क्षुब्ध
जंगली जीव
चले गांव की ओर
छिना आवास
वसंत देख
नाचता पतझड़
गिरा धड़ाम
स्वर्णिम सेज
गगन पे चमके
चंदा सूरज
अंक में चाँद
समेटता सूरज
चैन से सोया
थकी सी चाँद
गिरा निशा घूँघट
आया सूरज
– धरणी धर मणि त्रिपाठी