हायकु
गूँजी हैं चीखें
शब्द-शब्द हैं मौन
रोता हैं कौन
खेत पूछते
क्यों डुबोया तुमने
बोलो न पानी
न तुम, न मैं
कौन भूल पाया है
बीता समय
चोरों का राज्य
बिना रूपये दिये
बने न काज
बरसे नैन
तुम्हारे बिन चैन
अब न आये
बड़ी कठिन
जीवन डगरियाँ
मान न मान
मन हैं पंछी
हर क्षण उड़ता
कतरों पर
– अमन चाँदपुरी