चिड़ियों से प्यार, उनको निहारना, उनकी फोटो लेना, उनके बारे में दिन -रात बातें करना और जानकारी इकट्ठा करना.. सोलह वर्षीय दुबला-पतला सा मृगांक शेखर जब हाथ में प्रोफेशनल कैमरा लेकर चलता है तब बरबस ही लोगों का ध्यान आकर्षित कर लेता है।
मृगांक ने तक़रीबन चार साल पहले “बर्ड फ़ोटोग्राफ़ी” में रुचि लेना शुरू किया तब वे 8th स्टैण्डर्ड में पढ़ते थे। धीरे-धीरे उनका शौक़ बढ़ता ही चला गया और वे नन्ही चिड़ियों के साथ-साथ वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी में भी अपनी स्किल आजमाने लगे,जिसमें तेंदुआ और गिर की शान एशियाटिक शेर भी शामिल है।
मृगांक अपने माँ-पापा के साथ विभिन्न स्थानों पर फोटोग्राफी के लिये जाते है जिनमे थोल, नाल सरोवर, लिटिल रण ऑफ़ कच्छ(गुजरात), जवाई लेपर्ड सफारी (पाली), केवला देव पक्षी राष्ट्रीय अभ्यारण्य (भरतपुर, राजस्थान), पंगोट ( नैनीताल) और भिगवन (महाराष्ट्र) शामिल है।
वर्तमान में मृगांक अहमदाबाद में रहते है किंतु भरतपुर उनका होम टाउन और ननिहाल है और वे कहते है कि “मैं बहुत भाग्यशाली हूँ कि मेरा घर केवलादेव घना पक्षी अभयारण्य जैसे विश्व प्रसिद्ध स्थान पर है”। जब-जब वे यहाँ आते है अपना बहुत सारा समय ”घना” में बिताते है।
सुधीर शिवराम को अपना आदर्श मानने वाले मृगांक आने वाले समय में अपनी पढ़ाई के साथ बर्ड फ़ोटोग्राफ़ी की बारीकियों को सीखना चाहते है और वे चाहते है कि भरतपुर के स्थानीय लोग भी “केवलादेव अभयारण्य” की महत्ता को समझे और दुनिया भर में प्रसिद्ध अपनी इस अनूठी विरासत को संभालकर रखें। वे चाहते हैं कि सरकारी तंत्र को भी पक्षियों के लिए पूरे साल भर के लिए पानी और खाने की व्यवस्था रखनी चाहिए।
मृगांक ने अभी हाल ग्यारहवी की परीक्षा दी है और फोटोग्राफ़ी के साथ-साथ उनको रीडिंग, स्विमिंग, ड्राइंग करना, गिटार बजाना और क्रिकेट खेलना भी पसंद है। रोजाना खेलने को वे बच्चों के लिए बेहद जरुरी मानते हैं। उनके अनुसार कोई भी आउटडोर गेम प्रत्येक बच्चे को वैसे ही अपने दिनचर्या का अंग बनाना चाहिए जैसे कि वे पढ़ाई को अपने दैनिक कार्य में सम्मिलित करते हैं।
बड़े होकर मृगांक शेखर अपने इस शौक को और भी ज़्यादा निखारना चाहते हैं और प्रकृति के करीब जाना चाहते हैं। उनका कहना है कि अभी तो उनका ज़्यादा फोकस पढ़ाई पर है, मगर वे साथ-साथ लैंस और कैमरा पर भी फोकस करना चाहेंगे।