धनुर राशि को छोड कर, जाड़े से नाराज।
मकर राशि में आ रहे, सूरज दादा आज।।
गंगा तट पर भगत जन, रवि को पूजे आज।
तिलकुट, खिचड़ी संग में, दान धर्म के काज।।
तिलकुट पपड़ी रेवड़ी, मूंगफली के संग।
दाल मगोड़ी छक रहे, चटनी स्वाद तरंग।।
नए साल में मिल रहे, ले कर हाथ पतंग।
पेच लड़ा औ ढील दे, खानपान के संग।।
चूनर सा ये मन उड़े,मीत प्रीत की डोर।
नैनन के ये पेच से, हिय में होए शोर।।