हम एक ऐसे वैश्विक समाज में रह रहे हैं जहाँ हर इंसान संघर्षरत है। हम नित अपने भीतर और बाहर की दुनिया के छोटे-बड़े युद्धों से जूझ रहे हैं एवं प्रत्येक प्रतिस्पर्धा में स्वयं को एक विजेता के रूप में देखना चाहते हैं। आम इंसान, बड़े होने के स्वप्न देखता है और जो बड़े उद्योगपति हैं वे निरंतर ऊँची इमारतों, कॉर्पोरेट जगत के सौदों और उससे होने वाले विशालकाय लाभ की खोज में जुटे हुए हैं। इन्हीं लोगों और स्वार्थ से भरी इस दुनिया के बीच एक ऐसा शख्स भी आता है जो न केवल अपने महान व्यावसायिक कौशल के लिए जाना जाता है बल्कि अपनी अमिट दयालुता, करुणा और अटूट प्रेम से सबके हृदय में अपना स्थान भी बना लेता है। जिसकी विरासत मात्र किसी व्यावसायिक जीत या वैश्विक विस्तार में नहीं; बल्कि उन लाखों लोगों की धड़कनों में बसी है, जिन्हें उसने अपनी सहानुभूति और उदारता से स्पर्श किया है। नाम है, रतन टाटा।
रतन टाटा, किसी महान व्यावसायिक घराने के दिग्गज उद्योगपति ही नहीं बल्कि मानवता की ऐसी मूर्त तस्वीर बनकर उभरे जिसके जीवन का उद्देश्य हानि-लाभ से कहीं ऊपर उठ, आम आदमी की भलाई में नज़र आता है। यही कारण है कि उनकी विरासत बोर्डरूम की सीमाओं से परे है। उनका सम्पूर्ण जीवन इस तथ्य का जीवंत उदाहरण है कि महान शक्ति और उत्तरदायित्व निभाने का हौसला, विनम्रता और शालीनता के साथ और भी पुष्ट होता जाता है। उन्होंने हमेशा अपनी भूमिका को किसी अहंकार से भरे मालिक के रूप में नहीं बल्कि फलों से लदे, नत हुए एक कुशल संरक्षक के रूप में निभाया, जो देशवासियों की सुख-समृद्धि को प्राथमिकता देता है। देश की नब्ज को गहराई से समझ पाना सबके बस की बात नहीं! लेकिन एक उच्च पद पर आसीन होने के बाद भी रतन टाटा ने अपनी नैतिक प्रतिबद्धता और सोच में कभी कोई कमी न आने दी, साथ ही भारतीय मूल्यों और सामाजिक कल्याण हेतु अंतस से सम्मान बनाए रखा। यह उनकी गहरी, संस्कारित प्रतिबद्धता ही थी कि उन्होंने टाटा समूह के मुनाफे को हाशिये पर पड़े लोगों के उत्थान और संकट के समय में उन्हें राहत प्रदान करने में लगाया। उन्होंने व्यापार किया लेकिन लोगों की भावनाओं से खेलकर या किसी को मूर्ख बनाते हुए नहीं, बल्कि आशा और प्रेरणा के पुल पर चलते हुए सबका विश्वास जीतकर उनके दिलों में अपना स्थान बनाया।
इसका एक मजबूत उदाहरण मुंबई आतंकवादी हमलों के दौरान हुई त्रासदी है जहाँ उनका उद्देश्य केवल प्रतिष्ठित ताज पैलेस को बहाल करने तक ही सीमित नहीं था बल्कि उन्होंने हमलों से प्रभावित प्रत्येक कर्मचारी को सहायता प्रदान की और देश को यह भी सिखाया कि भय और तबाही के घटाटोप मंज़र के मध्य भी कैसे सशक्त हो टिके रहना है। वे प्राकृतिक आपदाओं के समय मदद करने वाले उन खास पहले लोगों में से हैं, जो बिना किसी दिखावे या शोरशराबे के जरूरतमंद के लिए खड़े रहते हैं। रतन टाटा के लिए, सोने-चाँदी के बड़े तमगे नहीं बल्कि देशवासियों की सहायता करने की प्रसन्नता ही सबसे बड़ा पुरस्कार रही।
टाटा ने पूरे भारत में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ग्रामीण विकास के लिए उनकी पहल, वंचित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा से लेकर रोजगार के अवसर पैदा करने तक, एक स्थिर आत्मनिर्भर भारत के लिए उनके समग्र दृष्टिकोण को दर्शाती है।
उनकी विनम्रता और सादगी उनके व्यक्तित्व से झलकती है। भारत के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक होने के बावजूद, वे एक साधारण जीवन जीते रहे, जो भोग-विलास से मीलों दूर, मूलतः आत्म-सुधार और सेवा पर केंद्रित रहा। एक ऐसी संस्कृति जहाँ सफलता का माप, वैभव के समानुपाती माना जाता है, उन्होंने नैतिक सिद्धांतों पर आधारित, धीर-गंभीर व्यक्तित्व और शांत गरिमामयी राह चुनी।
उनके बोलने का लहजा धीमा अवश्य है पर उनकी कोमल वाणी की स्पष्टता और उसमें भरा दृढ़ विश्वास लोगों तक उनका प्यार और भी सुस्पष्ट तरीके से पहुंचाता रहा। यही कारण है कि जनमानस पर उनकी छाप, उनके द्वारा अर्जित संपत्ति से नहीं बल्कि उन मूल्यों से पड़ी जिन्हें वे उम्र भर जीते रहे।रतन टाटा की विचारधारा, सोच एवं शालीन व्यवहार भारत के लिए एक ऐसा अमूल्य उपहार है जहाँ न्यायसंगतता, मानवता, दयालुता और देशप्रेम के भाव एक स्थायी विरासत के रूप में विद्यमान नज़र आते हैं। चमक-दमक और आत्मप्रचार से परे जीवन जीने वाले रतन टाटा का भारतीयों पर जो प्रभाव पड़ा है, वह उनकी विनम्रता, नैतिकता और सार्थक परिवर्तन के प्रति समर्पण से आता है।
टाटा द्वारा लखटकिया नैनो को लाना, एक औसत भारतीय परिवार के लिए कारों को सुलभ बनाना भर ही नहीं था बल्कि उनकी आँखों में बसे उस स्वप्न को साकार करना भी था जो वह अपनी पहली नौकरी से ही देखने लगता है कि फ्रिज़ हो, टीवी हो, घर हो और एक गाड़ी। नैनो व्यावसायिक रूप से भले ही असफ़ल रही लेकिन इसके पीछे की उनकी इस मंशा की चहुंओर प्रशंसा हुई जिसने एक आम मध्यमवर्गीय परिवार को उसके बजट में आने वाला सुरक्षित वाहन देकर उसकी झोली खुशियों से भर दी थी।
मानवता के प्रति टाटा का दृष्टिकोण यह सिखाता है कि जीवन की सार्थकता, दूसरों की सेवा और उससे प्राप्त खुशी से परिभाषित होती है। यही कारण है कि वे आज भी करोड़ों युवाओं के लिए, प्रेरणास्त्रोत हैं। एक ऐसा प्रकाशपुंज हैं जो जमीन पर खड़े हो आसमान नाप लेने का हौसला देता है। उन्होंने सफलता को विनम्रता और सामाजिक उत्तरदायित्व के साथ जोड़कर संस्कार को एक नई परिभाषा दी। रतन टाटा ने हमें दिखाया है कि सच्ची महानता देश के दस सर्वाधिक रईसों की बनने वाली सूची में आने से नहीं बल्कि दूसरों के जीवन पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव से मापी जाती है। श्री रतन टाटा जी, एक सम्पूर्ण पीढ़ी को प्रेरित करने, एक उज्जवल, दयालु, संवेदनशील दुनिया बनाने और उसके बचे रहने की उम्मीद देने के लिए आपका कोटिशः धन्यवाद और अभिनंदन। आपको अलविदा कहने का जी नहीं करता! अपनी तमाम प्रेरणादायी कहानियों के साथ आप हमारे बीच अब भी उपस्थित हैं और सदा रहेंगे।