आज सुबह कुछ जल्दी ही उठ गई थी। सुबह -सुबह अचानक नज़र पड़ी इस अलमारी पर, बेतरतीब हो रखा था सब ज़रूरी खानपान फिर क्या था लग गई काम पे।
ये जो देख रहे हैं ना आप मीठा, नमकीन, तीखा और कुछ बहुत तीखा कुछ अचार और मुखवास।
यूँ ही आसानी से नहीं हासिल हो जाता है जनाब
बहुत मेहनत मशक़्क़त करनी पड़ती है श्रीमान।
पहले तो बाज़ार जाओ, फिर तलाशो कुछ कम नुक़सान करने वाली खाद्य सामग्री
जैसे की बुड.प्रेस पारंपरिक तरीक़े से निकाला हुआ ऑयल, मिश्री सेंधा और काला नमक
दिल को सुकून देने वाला ऑर्गेनिक मैदा जो स्वाद के साथ-साथ चर्बी भी ख़ूब देता है जनाब
और ना जाने कितने रंग बिरंगे और ख़ुशबूदार मसाले
साथ साथ में ले लो कुछ ऑर्गेनिक दलहन जैसे चने की दाल, बाजरा और बहुत कुछ
फिर कुछ घंटों तक बढ़ती हुई महँगाई की तारीफ़ में क़सीदे पढ़ो
दो चार सखियों को फ़ोन मिलाओ
वार्तालाप तुम उनसे ख़ूब बढ़ाओ
कर डालो इनके साथ यहाँ -वहाँ की पंचायत एक साथ
चने की दाल से बेसन बनाओ
इसके बाद विचार बनाओ टालमटोल ख़ूब लगाओ
उसके बाद भर गर्मी में
रसोईघर में घंटों का समय बिताओ
फिर तैयार होता है ये चटकारे दार स्वाद
इसमें मिलावट होती है कुछ मित्र और रिश्तेदार की
जो समय -समय पर प्यार भरी सौगातें भरके स्टील के डब्बों में भेजते रहते लगातार
कहीं दूर दराज़ के गांवों
(अबबड़ासा गाँम) में बैठी विधवा बहने बस से भेजती हैं खाखरे के पार्सल बिना किसी नागे के लगातार
बस एक फ़ोन कॉल और दूसरे दिन हाज़िर हो जाता हैं स्वाद से भरपूर शुद्ध माँ के हाथ जैसा खाखरा पार्सल
फिर बारी आती है आस -पास के गृह उद्योग की कोरोना काल में अचानक ही चार बड़े -बड़े झोलों में सुगंधित देशी नाश्ता भर अपने दुपहिया वाहन सहित हाज़िर हो गए थे अचानक ये क़ाकाजी.
हम भी कहा कुछ कम थे हम ने भी कह दिया, काका नाश्ता तो हम घर पर ही बना लेते हैं
एक फीकी सी मुस्कान के साथ बोले
“चाखी तो लो बेन. चाखवा नु तो पईसा पड. नई लागे”
चखते -चखते दसियों स्वाद के ख़ज़ाने हमन घर के अंदर रख लिए ।
तब से वो कालकाजी बस काकाजी हैं क्या नाम है उनका हम नहीं जानते
इस सब वकझक में
भूल न जाना तुम खाबड़ा गाँम की मिठाईयाँ और सत्यम (कांच की मिठाइयों नाश्ते की लोकल १०० साल पुरानी दुकान )के नमकीन
ये सिर्फ़ नाश्ते की अलमारी नहीं है साहब। यह जीवन की अचार जैसी खट्टी मीठी यादों का ख़ज़ाना है जिसे हम तो कहते हैं
“व्यास फ़रसान भंडार”
ज़रूर आपके घर में भी ज़रूर होगा ऐसा कोई कोना। क्या पुकारते हैं उस कोने को? आप हमें ज़रूर बताएँ।