जयपुर। रविवार 28 नवंबर 2021 को जयपुर के राजस्थान पैलेस हैरिटेज होटल में आयोजित एक गरिमामय समारोह में प्रखर व्यंग्यकार व कवि श्री फारुक आफरीदी ने कहा कि धर्म, जाति, ऊंच- नीच जैसे भेद हमारे अपने बनाए हुए हैं अन्यथा कुदरत तो हम सब को एक सा बनाती है। उन्होंने बच्चों को ये जानकारी भी दी कि बच्चों के लिए बाल साहित्य अकादमी का गठन करने वाला देश का पहला राज्य राजस्थान बन गया है। इस पर भारी हर्षध्वनि की गई।
वे राही सहयोग संस्थान की बाल साहित्य श्रृंखला के अंतर्गत “मंगल ग्रह के जुगनू” और “इक्कीसवीं सदी के बच्चे” जैसी बाल- पुस्तकों के लोकार्पण के अवसर पर बोल रहे थे। पुस्तकों के लेखक सुप्रसिद्ध साहित्यकार प्रबोध कुमार गोविल हैं।
इसी अवसर पर सलिला संस्था, सलूंबर द्वारा डॉ. विमला भंडारी के संपादन में प्रकाशित स्मारिका “सलिल प्रवाह” का विमोचन भी अतिथियों द्वारा किया गया। यह एक सुखद संयोग रहा कि सलिल प्रवाह का यह वार्षिक अंक भी इस बार प्रबोध कुमार गोविल के साहित्यिक अवदान पर केंद्रित किया गया है।
इस अवसर पर बोलते हुए वरिष्ठ साहित्यकार श्रीकृष्ण शर्मा ने कहा कि साहित्य जीवन को अपने अर्थवान स्तर तक बनाए रखने का साधन है क्योंकि बौद्धिकता से ही सामाजिकता जुड़ी है। कार्यक्रम में बच्चों की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही जिन्होंने कुछ रोचक प्रस्तुतियां भी दीं।
बच्चों को संबोधित करते हुए ख्यात कहानीकार रमेश खत्री ने कहा कि जीवन में कोरोना के कारण आए व्यवधान से निकल कर फ़िर से खड़े होने में पर्याप्त सावधानी बरतनी होगी। लोकप्रिय कहानीकार योगेश कानवा ने बच्चों से रोचक संवाद करते हुए उन्हें अपनी प्रतिभा को निखारने का आह्वान किया।
युवा कवयित्री रेनू शब्दमुखर ने एक शिक्षक और विद्यार्थियों के परस्पर सहयोग- संवाद को उजागर करते हुए अपनी एक भावप्रवण कविता भी सुनाई। समारोह को स्तन कैंसर पर कार्य कर रहे एनजीओ “कोशिश” की संचालक सुषमा गोविल, गुरुनानक गर्ल्स स्कूल की पूर्व प्राचार्या अशोक रानी, “एस” संस्थान की प्रोफ़ेसर सविता मार्कण्डेय आदि ने भी संबोधित किया।
इस अवसर पर प्रबोध कुमार गोविल ने कहा कि हलचलों से ही सन्नाटे काटे जा सकते हैं। साहित्य समाज की आंतरिक हलचल है जिसका स्पंदन बालपन से ही जगाया जाना चाहिए।
अतिथियों के प्रति आभार प्रदर्शन राजस्थान विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर शैलेंद्र गुप्ता ने किया।