उभरते स्वर
ज़िन्दग़ी
1.
ज़िन्दग़ी के मायने
ज़िन्दग़ी खुद समझाती है
हर मोड़ पर अपने
नए रंग दिखलाती है
कभी बस में लोगों की
घूरती नजरों में
हिम्मत से चलने का
अहसास कराती है
तो कभी अंधेरी सड़क
पर बहादुर बनाती है
********************
2.
ज़िन्दग़ी के मायने तो
वो माँ भी सिखाती है
जिसकी पूरी ज़िन्दग़ी
बच्चों के इर्द गिर्द
घूमती जाती है
जिसकी रक्षा के लिए वो
सबसे लड़ जाती है
जरूरत पड़ने पर वो
अपना सिंदूर भी मिटाती है
फिर भी काग़ज़ के टुकड़ों में
अपना नाम नहीं पाती है
– श्रुति
Facebook Notice for EU!
You need to login to view and post FB Comments!