ग़ज़ल-गाँव
ग़ज़ल-
हर तरफ़ से है देखी हुई दोस्तो
फिर भी है ज़िन्दगी अजनबी दोस्तो
प्यार को खोज लो हर गली दोस्तो
प्यार की है ज़रूरत बड़ी दोस्तो
प्यार के बिन गुज़रता नहीं एक पल
कैसे गुज़रेगी ये ज़िन्दगी दोस्तो
बात जब भी बहारों की होने लगी
हम पे छाने लगी बेख़ुदी दोस्तो
क्या पता कब पटक दें हमें गर्दिशें
कब कहाँ घेर ले बेबसी दोस्तो
ग़म के गहरे समन्दर में कर ग़र्क दे
एक मासूम-सी सरकशी दोस्तो
ताब-ए-ज़ब्त अपनी भी तुम देख लो
लब पे आई नहीं तिश्नगी दोस्तो
अश्क आँखों में आए न लब पे दुआ
दर्द की ये भी है संगदिली दोस्तो
पास सबके यहाँ बाँटने के लिए
इक कहानी कही-अनकही दोस्तो
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ग़ज़ल-
करीने से हमने भी दामन सिया है
भला कोई ज़ख़्मों को लेकर जिया है
चलो माफ़ करते हैं तुमको हरीफ़ो!
हमारे लिए तुमने कुछ तो किया है
भले घोंप दो तुूम कलेजे में खंजर
मगर मैंने तुम पर भरोसा किया है
छुपाए से लग़जिश नहीं छुप सकेगी
बहुत तज़्रिबा ज़िन्दगी ने दिया है
मुहब्बत की तोहमत लगाने चले हो
बहुत क़ीमती आज तोहफ़ा दिया है
– आशा शैली