ग़ज़ल-गाँव
ग़ज़ल-
कर्म पर ही भाग्य का परिणाम है
कर्म करना ही तुम्हारा काम है
भर गया मन आज भय, आतंक से
ज़िन्दगी से अब ख़ुशी गुमनाम है
टूटते रिश्ते ज़रा-सी बात पर
बात कटु कहने का यह अंजाम है
रख किताबों की ये शिक्षा इक तरफ
आज शिक्षा हो रही नीलाम है
हर तरफ फैला उजाला सत्य का
‘सोनिया’ को प्रिय यही वो धाम है
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ग़ज़ल-
डर रहा है अब जहां अनुपात का दर देखकर
बेटियाँ मारी गयी इच्छाओं का सर देखकर
क्यों हो हैरां हाथ में अपनों के पत्थर देखकर
आदमी की ज़ात समझा कौन पैकर देखकर
हक़ की बातें करने वाले लोग ही देंगें दग़ा
जाँच लो हर आदमी को तुम सँभल कर देखकर
सादगी को जो कभी ज़ेवर समझता था वही
आज कैसे मर मिटा है रूप सुन्दर देखकर
क्या छुपा है किसके मन में, अब नहीं है पूछना
और भी उलझा करेंगे उनके उत्तर देखकर
– सोनिया वर्मा