ग़ज़ल
ग़ज़ल
आन भी है शान भी अभिमान होतीं नारियां
रूप में इंसान के भगवान होतीं नारियां
इनसे है परिवार ये ही सृष्टि का आधार है
मान लो तो ईश का वरदान होतीं नारियां
मुश्किलों का सामना हिम्मत से ये करती सदा
कौन कहता है कि अबला जान होतीं नारियां
दुःख सभी सहती है लेकिन उफ़ कभी करती नहीं
हर सुखी परिवार की मुस्कान होतीं नारियां
हैं नहीं कमज़ोर नारी शक्ति का अवतार है
इस धरा पर दुर्गा का प्रतिमान होतीं नारियां
जोड़ती है दो कुलों को, प्यार की इक डोर से
क्यों यही कहते सभी नादान होतीं नारियां
माँ, बहन, पत्नी हैं ये अपमान इनका मत करो
सच है ये परिवार की पहचान होतीं नारियां
प्रीत इनसे, गीत इनसे, इनसे ही संगीत है
वेद की श्रुतियों का मीठा गान होतीं नारियां
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ग़ज़ल
अंधेरों ने करी है साजिशें हमको मिटाने की
अदा रखते हैं लेकिन हम नया सूरज उगाने की
जलाकर हौसले का दीप राहें कर चले रोशन
नहीं हिम्मत किसी में है हमें आँखे दिखाने की
खुदा ने गर हमें खामोश रहने का हुनर बख्शा
तो हिम्मत भी अता कर दी लड़ाई जीत जाने की
हमारे हक़ में जो भी है उसे हम छीन लेते हैं
नहीं आदत हमारी बेवजह आँसू बहाने की
लगे ठोकर कभी तो गिरके हम फिर से सँभल जाते
जमाने में कहाँ ताकत हमें फिर से गिराने की
हमारी शान में तो चाँद सूरज भी करे सजदा
सितारों में कहाँ ताकत है हमको आज़माने की
– रमा प्रवीर वर्मा