ग़ज़ल की बात
ग़ज़ल की बात (किश्त 9)
साथियो नमस्कार!
‘ग़ज़ल की बात’ के नौवें अंक में आपका स्वागत है।
अभी तक हमने ग़ज़ल के बारे में बहरों, रदीफ़, काफ़िया आदि पर चर्चा ही की है। हमने अभ्यास के स्तर पर कोई प्रयास नहीं किया है। इस अंक में हम ग़ज़ल पर कुछ प्रेक्टिकल करेंगे। मैं कुछ बेहद लोकप्रिय फ़िल्मी गीतों की तक़्तिअ करके लिखूंगा। आप उन्हें स्वयं भी एक बार तक़्तिअ करके देखें। मैं केवल मुखड़े की बह्र लिख देता हूँ, आप गीत/ग़ज़ल के शेष अंतरों/अशआर की तक़्तिअ करके देखें। अगर हो सके तो उस गीत को सुनते हुए तक़्तिअ करने का अभ्यास कीजिए। सच मानिए बहुत आनंद आएगा। फ़िल्मी गाने इसलिए लिए है कि ये हम सबको सहजता से उपलब्ध हो जाएंगे।
तक़्तिअ- ग़ज़ल के मिसरे को लाम (लघु स्वर) और गाफ़ (दीर्घ स्वर) यानि छोटी और बड़ी बूंदों में तोड़कर लिखने को तक़्तिअ यानि टुकड़े करना कहते हैं। इससे बह्र आसानी से पकड़ जाती है।
तो शुरू करते हैं।
122 –122–122–122 (चार कली)
ल ला ला –ल ला ला –ल ला ला –ल ला ला
न तुम बेवफ़ा हो न हम बेवफ़ा हैं
मगर क्या करें अपनी राहें जुदा हैं
1 2 2 / 1 2 2 / 1 2 2 / 1 2 2
तक़्तिअ—
न तुम बे/ व फ़ा हो/ न हम बे/ व फ़ा हैं
म गर क्या/ क रें अप/ नि रा हें/ जु दा हैं
जब आप इस गीत को सुनेंगे तो पाएंगे कि सानी मिसरे के तीसरे रुक्न में ‘अपनी’ को लता जी कितनी ख़ूबसूरती से ‘अप/ नि रा हें’ गाया है। यानि यहाँ
‘नी’ की मात्रा गिराकर ‘नि’ किया है।
आप शेष अंतरे भी लिखकर तक़्तिअ करें। जैसे-
अ भी कल/ त लक तो/ मु हब् बत/ ज वाँ थी
मि लन ही/ मि लन था/ जु दा ई/ क हाँ थी
इसे खड़ा/ उदग्र ( vertical) लिखें।
1——2——-2
न—-तुम —-बे
व—-फ़ा —-हो
न—–हम—–बे
व—–फ़ा——हैं
तक़्तिअ करने से कईं बातें स्पष्ट हो जाती हैं। जैसे तुम, हम आदि भी 2 के नीचे ही है। हिंदी छंदों की तरह इन्हें 11 नहीं लिखना है। तक़्तिअ से ज़िहाफत यानि मात्रा पतन का भी भान हो जाता है। जैसे-
1——2——2
म— गर — क्या
क —-रें —–अप
नि—- रा ——हें
जु —–दा ——हैं
ऊपर 1 के खाने/ घर में आने वाले सभी वर्ण लघुमात्रिक ही होंगे। अगर उन पर दीर्घ मात्रा है तो वह गिर जाएगी। जैसे ‘नी’ यहाँ ‘नि’ हो गया है।
इसी बह्र पर कुछ और फ़िल्मी गाने दे रहा हूँ, आप उनकी तक़्तिअ करके देखें।
1) बहुत खूबसूरत ग़ज़ल लिख रहा हूँ
2) मुहब्बत की झूठी कहानी पे रोये
3) निगाहें मिलाने को जी चाहता है
4) तिरे प्यार का आसरा चाहता हूँ
5) ये दो दिल है चंचल हवाओं के झोंके
6) बहुत शुक्रियाना बड़ी मेहरबानी
मेरी ज़िन्दगी में हुज़ूर आप आए
7) अजी हमसे बचकर कहाँ जाइयेगा
8) तुझे प्यार करते थे करते रहेंगे
कि दिल बन के दिल में धड़कते रहेंगे
9) तुझे अपना साथी बनाने से पहले
मेरी जान मुझको बहुत सोचना है
10) नहीं चाहिए दिल दुखाना किसी का
11) बहुत देर से दर पे आँखें लगी थी
हुज़ूर आते आते बहुत देर कर दी
यहाँ—
हुज़ूर आते में अलिफ़-वस्ल लगी है यानि–
हुज़ू (र + आ ) ते = हु ज़ू रा ते हुआ है।
1———-2 ———-2
हु———ज़ू———-रा
ते ——-आ———ते
ब———हुत——- दे
र ——–कर——–दी
1 2 2 — 1 2 2 — 1 2 2 — 1 2
1) कोई जब तुम्हारा रिदय तोड़ दे
तड़पता हुआ जब तुम्हें छोड़ दे
2) दिखाई दिए यूँ कि बेख़ुद किया
हमें आपसे भी जुदा कर चले
3) हुई शाम उनका ख़याल आ गया
वही ज़िन्दगी का सवाल आ गया
4) बहारों ने मेरा चमन लूटकर
ख़िज़ाँ को य’ इल्ज़ाम क्यों दे दिया
5) तुम्हारी नज़र क्यों ख़फ़ा हो गई
212—-212—-212—–212
1) छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए
ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए
2) कर चले हम फ़िदा जानो तन साथियों
3) बेखुदी में सनम उठ गए जो कदम
4) जिस गली में तेरा घर न हो बालमा
5) मेरे महबूब में क्या नहीं क्या नहीं
6) दिल ने मज़बूर इतना ज़ियादा किया
7) ऐ वतन ऐ वतन तेरे सर की कसम
8) खुश रहे तू सदा ये दुआ है मेरी
9) हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी
फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी
इसमें अलिफ़-वस्ल का कितना अच्छा प्रयोग हुआ है
2 1 2 2 1 2
बे शु मा रा द मी
का शि का रा द मी
212 — 212—212—2
आज सोचा तो आँसू भर आए
मुद्दतें हो गई मुस्कुराए
212 –212–212
ज़िन्दगी की न टूटे लड़ी
प्यार कर ले घड़ी दो घड़ी
इस बंध में ज़िहाफत (मात्रा पतन) का कमाल
देखिए और हाँ गाने को सुनकर देखें।
2————1—————2
आ———–ज————–से
अप ———ना ———–वा
दा————-र ————हा
हम ———-मि————-लें
गे————–ह————रिक
मो————-ड़————- पर
दिल———-की ———-दुनि
या ————-ब ———-सा
एं—————-गे ———–हम
ग़म————-की ———-दुनि
या ————-का————घर
छो—————ड़————कर
2 1 2 2 –2 1 2 2 –2 1 2 2 –2 1 2
1) होश वालों को ख़बर क्या बेखुदी क्या चीज़ है
2) मंज़िले अपनी जगह है रास्ते अपनी जगह
3) हो गई है पीर पर्वत अब पिघलनी चाहिए
2122–2122–212
1) दिल के अरमाँ आँसुओं में बह गए
2) कल चमन था आज इक सहरा हुआ
देखते ही देखते ये क्या हुआ
3) कोई सागर दिल को बहलाता नहीं
बेखुदी में भी करार आता नहीं
4) आपके पहलू में आकर रो दिए
दास्ताने ग़म सुनाकर रो दिए
1222 —1222—1222—-1222
1) बे दर्दी बालमा तुझको मेरा मन याद करता है
2) ख़ुदा भी आसमाँ से जब जमीं पर देखता होगा
3) बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है
4) चले जाना ज़रा ठहरो किसी का दम निकलता है
5) बदल जाए अगर माली चमन होता नहीं खाली
6) सुहानी चाँदनी रातें हमें सोने नहीं देती
7) जिन्हें हम भूलना चाहे वो अक़्सर याद आते हैं
8) मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता
9) चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाए हम दोनो
10) अगर मुझसे मुहब्बत है मुझे सब अपने ग़म देदो
इन आँखों का हर इक आँसू मुझे मेरी कसम देदो
11) चमकते चाँद को टूटा हुआ तारा बना डाला
211–211/211 –211/ 211–211/211 2
1) फूल तुम्हे भेजा है ख़त में फूल नहीं मेरा दिल है
2) चाँदी की दीवार न तोड़ी प्यार भरा दिल तोड़ दिया
3) रात कली इक ख़ाब में आई और गले का हार हुई
4) कहना तेरा इक दीवाना याद में आहें भरता है
लिख कर तेरा नाम ज़मीं पर तुझको सज़्दे करता है
5) एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी
6) कौन किसी को बाँध सका सैयाद तो दीवाना है
7) होठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो
8) ओ दुनिया के रखवाले सुन दर्द भरे मेरे नाले
211 211 211 211
1) औ रिस दिल में क्या रक्खा है
तेरा ही दर्द छुपा रक्खा है
2212 –2212–2212–2212
1) कल चौदवीं की रात थी शब् भर रहा चर्चा तेरा
2) ये दिल ये’ पागल दिल मेरा क्यों बुझ गया आवारगी
कुछ और लोकप्रिय रूपांतरित लहरें-
1212–1122–1212—22 (112)
1) कभी कभी–मेरे दिल में—ख़याल आ–ता है
2) जुबां पे दर् –द भरी दा –सतां चली –आई
3) झुकी झुकी सी नज़र बेक़रार है कि नहीं
221–1221–1221–122
1) इस रेशमी पाज़ेब की झंकार के सदके
2) बर्बाद-ए-मुहब्बत की सदा साथ लिए जा
2122–1122–1122–112
1) ज़िन्दगी और बता तेरा इरादा क्या है
2) मेरे महबूब तुझे मेरी मुहब्बत की कसम
3) दिल की आवाज़ भी सुन मेरे फ़साने पे’ न जा
4) आज की रात मेरे दिल की सलामी ले ले
5) तेरी ज़ुल्फ़ों से जुदाई तो नहीं मांगी थी
6) हुस्न हाज़िर है मुहब्बत की सजा पाने को
7) वो तेरे प्यार का ग़म इक बहाना था सनम
8) ज़िन्दगी जब भी तेरी बज़्म में लाती है मुझे
9) रंग ओ नूर की बारात किसे पेश करूँ
ये मुरादों की हँसी रात किसे पेश करूँ
10) वक़्त करता जो वफ़ा आप हमारे होते
11) मुझको इस रात की तन्हाई में आवाज़ न दो
12) दिल ने फिर याद किया बर्क़ सी लहराई है
2122–1122–112
प्यार का दौ –र सुहाना –आए
फिर मुहब्बत –का ज़माना –आए
4) 2122–1212–112
1) ये मुलाका–त इक बहा–ना है
2) ज़िक् र होता — है जब कया–मत का
तेरे ज़ल्वों — की बात हो — ती है
3) दिल ए नादाँ तुझे हुआ क्या है
आखि रिस दर्द की दवा क्या है
4) फ़िर छिड़ी रात बात फूलों की
221– 2121–1221–212
1) दुनिया क– रे सवाल — तो हम क्या ज़–वाब दें।
2) दिल की य — आरजू थी — कोई दिलरु– बा मिले
3) अब क्या मिसाल दूँ मैं तुम्हारे शबाब की
4) दिल चीज़ क्या है आप मेरी जान लीजिए
5) मिलती है ज़िन्दगी में मुहब्बत कभी कभी
11212–122—11212 –122
मुझे इश्क़ है तुझी से मेरी जाने ज़िंदगानीहै
221 –2122 / 221–2122
1) तक़दीर का फ़साना जाकर किसे सुनाएँ
2) सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा
11212–11212–11212–11212
1) न तो कारवाँ की तलाश है न तो हम सफ़र की तलाश है
2) मुझे दर्दे-दिल का पता न था मुझे आप किसलिए मिल गए
3) तुझे क्या सुनाऊँ ए दिलरुबा तेरे सामने मेरा हाल है
तेरी इक निगाह की बात है मेरी ज़िन्दगी का सवाल है
इस बह्र में काफ़ी जगह मात्रा गिरानी पड़ती है, इसलिए ध्यान से तक़्तिअ करें।
1——1——2——1——2
तु—–झ—-क्या—–सु—-ना
उँ—–ए—–दिल—–रु—–बा
ति—–र—–सा—–म——ने
मि—–र—–हा——ल——है
ति—–र—–इक—–नि—–गा
ह—–कि—–बा——त——है
मि—–र—–ज़िन्—–द—–गी
क——स——वा——ल—–है
आप देख रहें होंगे कि 1 यानि लघुस्वर के खाने/घर में आने वाले सभी दीर्घ स्वर की मात्रा गिर जाती है। जब आप इस गाने को सुनेंगे तो आप इस ज़िहाफत (मात्रपतन) स्पष्ट महसूस करेंगे। इस तरह की बहरों में गायक को स्पष्ट हिदायत दे दी जाती है कि लाम (लघु स्वर) के बाद या पूर्व के दीर्घ स्वर पर आलाप अवश्य लें ताकि स्वराघात लघु स्वर पर न पड़ कर दीर्घ स्वर पर पड़े। इस नियम को मो. रफ़ी साहब ने कितने अच्छे से निभाया है, गाना सुनकर देखें।
1 1 2 1 2
ल ल लाआआ ल लाआआ
ल ल लाआआ ल लाआआ
मि—–र—–ज़िन्—–द—–गी
क——स——वा——ल—–है
मित्रो! मेरे उस्ताद पुराने फ़िल्मी गाने रहे हैं, इन्होंने मुझे इतना सिखा दिया है कि अब मैं गाना सुनते ही उसकी बह्र पकड़ लेता हूँ। नए साधक अगर इन फ़िल्मी गानों को, जिन्हें शेलेन्द्रजी, हसरत जयपुरी साहब, साहिर साहब, मज़रूह साहब जैसे शायरों ने लिखा है, पर तक़्तिअ का अभ्यास करें तो बहुत आंनद आएगा और जल्द ही बहरें पकड़ में आने लगेंगी।
नमस्कार!
आप सभी के स्नेह का ऋणी
‘खुरशीद’ खैराड़ी
– ख़ुर्शीद खैराड़ी