ग़ज़ल की बात
ग़ज़ल की बात (किश्त 3)
साथियो! ग़ज़ल की बात की तीसरी किश्त प्रस्तुत करते हुए अपार हर्ष हो रहा है।
हमने पिछले अंक में सतत लहरों की बात की थी और उनके संगत हिंदी छंदों के बारे में जाना था। इस अंक में हम मिश्र और रूपांतरित लहरों की बात करेंगे।
मिश्र लहरें- सतत हिलोरों (सालिम रुक्न) के भिन्न-भिन्न रूपों के आमेलन से जो लहरें उछलती हैं, उन्हें हम मिश्र लहरें कहेंगे। यथा- 122 एवं 212 का मिलन करने पर-
122–212 तथा इसका उल्टा 212–122 रूप प्राप्त होता है। इनकी आवृत्ति (दोहराव) करने पर निम्न लहरें होंगी।
122–212 122–212
इसका उल्टा-
212–122 212–122
ये दोनों चार कड़ी के उदाहरण हैं। यदि दायीं तरफ़ से छींटे या हिलोर कम करते जाएं, तो तीन कड़ी, दो कड़ी आदि लहरें मिलती हैं। देखें-
122–212 122–212 = (N = 4) = चार कड़ी
122–212 122–2 या 22 =(N = 3.5 ) = साढ़े तीन कड़ी
122–212 122 = (N =3) = तीन कड़ी
122–212 12 = ( N = 2.5 ) = ढाई कड़ी
122–212 = ( N = 2 ) = दो कड़ी
इसी प्रकार इसका उल्टा करने पर-
212–122 212 – 122 (N = 4) = चार कड़ी
212–122 212–12 = (N = 3.5 ) = साढ़े तीन कड़ी
212–122 212 = (N =3) = तीन कड़ी
212–122 2 या 22 = ( N = 2.5 ) = ढाई कड़ी
212–122 = ( N = 2 ) = दो कड़ी
इस प्रकार सतत हिलोरों के हमें निम्न मिश्र रूप मिलते हैं-
122–212 और उल्टा 212–122
122–1222 और उल्टा 1222–122
212–2122 और उल्टा 2122–212
212–22 12 और उल्टा 22 12–212
12 22–21 22 और उल्टा 21 22–12 22
22 12–21 22 और उल्टा 21 22–22 12
212–1222 और उल्टा 1222–212
इन सभी के उपरोक्त की तरह पाँच-पाँच रूप और हो सकते हैं यथा-
चार कड़ी = (N = 4)
साढ़े तीन कड़ी = (N = 3.5)
तीन कड़ी = (N = 3)
ढाई कड़ी = (N = 2.5)
दो कड़ी = (N = 2)
इस प्रकार हमें 14 x 5 = 70 प्रकार की मिश्र लहरें प्राप्त होती हैं। शायद ही कोई इन सब पर ग़ज़ल कह पाए, इसलिए कुछ चुनिन्दा लहरें ही अधिक देखने को मिलती हैं। जो लोग भावों की मुक्ति के नाम पर छंद से दूर भागते हैं, उनकी मुक्त कविताएँ भी इन सैंकड़ों प्रकार की लहरों में स्वतः ही बंध जाती है। मुक्ति, बंधन का पर्याय बनकर रह जाती है।
मिश्र बहरों के चार कड़ी (N =4) रूप में हमें दो अर्धांश मिलते हैं। इन्हें हम लगाकर अलग कर सकते हैं। पहले अर्धांश की मात्रा दूसरे अर्धांश में नहीं जानी चाहिए, यानि जहाँ लगा है वहाँ यति (विश्राम) है। देखें-
तराना–मुहब्बत का तराना–मुहब्बत का
122–1222 122–1222
इसमें पहले अर्धांश की मात्रा दूसरे में नहीं जानी चाहिए।
अज़ीज़ों–शराफ़त को निभाना–हुआ मुश्किल
हवा में–चरागों को जलाना–हुआ मुश्किल
उपरोक्त उदाहरण सही है। लेकिन नीचे के मिसरे गलत है।
तुम्हारी- वफ़ा को भू ल जाना- हुआ मुश्किल
हुए दू-र इतने पा स आना- हुआ मुश्किल
रूपांतरित लहरें– पूर्व वर्णित सतत और मिश्र लहरों को हिलोर के हिसाब से नामकरण करें तो, चार कड़ी, साढ़े तीन कड़ी, तीन कड़ी, ढाई कड़ी, दो कड़ी आदि रूप मिलते हैं।
यदि L = लहर और H = हिलोर लिखें तो–
1 2 3 4
L = H — H — H — H = N x H
यहाँ पहली हिलोर (रुक्नलयपद ) को यानि 1H को सदरइब्तिदा (शुभारम्भ) कहते हैं।
अंतिम हिलोर(रुक्नलयपद) को यानि 4H या NH को अरुजजरब (अंतिम पद) कहते हैं।
बीच वाले पदों को यानि 2H , 3H आदि को हश्वैन(मध्य पद) कहते हैं।
इस प्रकार हम सतत या मिश्र लहरोंबहरों को लयपद के अनुसार लिखकर शुभारम्भ, मध्यपद एवं अंतिम पदों की हिलोरों (रुक्नों) में छोटी बूँद (लघुलाम) या बड़ी बूंद (गुरुगाफ़) को नियमाधीन गिराकर (हटाकर), या बड़ी बूंद को छोटी करके, इन रूपांतरित लयपदोंहिलोरों के साथ रूपांतरित लहरें बना सकते हैं।
ध्यान रहे रूपांतरित करने के तीन ही तरीके हैं-
1. छोटीबड़ी बूंद को हटाना (deleat a drop)
2. बड़ी बूंद को छोटी करना (curtail a big drop)
3. उपरोक्त दोनों को एक साथ प्रयुक्त (apply) करके (deleat &curtail )
रूपांतरित करने के लिए छोटी बूंद को बड़ी नहीं कर सकते हैं।
उदाहरण–
122 में
>1 या 2 को हटा सकते हैं (deleat a drop)
>2 को 1 कर सकते हैं (curtail a big drop)
>उपरोक्त दोनों कर सकते हैं (deleat & curtail)
यानि इसके रूपांतरित पद हो सकते हैं–
पहली विधि (deleat a drop) से — > 22 , 12 , 2
दूसरी विधि (curtail a drop ) से — > 121 , 112
तीसरी विधि (deleat & curtail ) से — > 21
आप तीनों विधियों के रूपांतरित पदों को देखें और समझें कि ये कैसे बने हैं।
आगे इस प्रकार के रूपांतरण से बनी कुछ लोकप्रिय लहरों का उदाहरण फ़िल्मी गीतों के आधार पर दूँगा ताकि सभी को सहज हो जाए। सबसे पहले तराना (122) चार कड़ी की संभावित रूपांतरित लहरें देखते हैं।
122–122–122–122 की रूपांतरित लहरें
122 122 122 122
122 121 121 12
22 22 22 22
121 121 121 12
22 121 121 12
121 122 122 2
उदाहरण–
121 – 121 – 121 – 12
गरीब – अमीर – फ़क़ीर – सभी
अवाम – गमों के – असीर – सभी
कुछ अतिलोकप्रिय रूपांतरित लहरें—
21 22 – 22 12 – 21 22 ( मिश्र 21 22 – 22 12 की तीन कड़ी ) से रूपांतरित
21 22 – 12 -12 – 22 या 112 या 212
ये मुलाकात इक बहाना है प्यार का सिलसिला पुराना है।
12 22 – 21 22 – 12 22 – 21 22 से रूपांतरित
22 1 – 21 21 – 12 21 – 212
दुनिया करे सवाल तो हम क्या जवाब दें
22 12 – 21 22 – 22 12 – 21 22 से रूपांतरित
12 12 – 1 122 – 12 12 – 22 या 112 या 212
कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है
जुबां पे दर्द भारी दास्ताँ चली आई
कुछ अन्य लोकप्रिय रूपांतरित लहरें
21 22 – 1 122 – 1 122 – 22 (तेरी जुल्फों से जुदाई तो नहीं मांगी थी)
आज की रात मेरे दिल की सलामी लेले ज़िंदगी जब भी तेरी बज़्म में लाती है मुझे
21 22 – 1 122 – 22 या 112 (प्यार का दौर सुहाना आया)
212 2 – 12 12 – 11 22 – 22 या 112
12 12 – 12 12 – 12 12 – 12 12
आशा है आप मेरी अनगढ़ बातों को कुछ-कुछ समझ रहे होंगे।
आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में आपका साथी साधक-
खुरशीद खैराड़ी
– ख़ुर्शीद खैराड़ी