ख़बरनामा
होली की पूर्व संध्या पर आयोजित काव्यगोष्ठी
जोधपुर शहर में रविवार 8 मार्च 2020 की शाम एक अनोखा आयोजन हुआ, जिसमें होली की पूर्व संध्या और अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर शहर के अनेक कवि, शायर और रंगकर्मियों ने अपनी रचनाओं की शानदार प्रस्तुति दी और श्रोताओं की जमकर वाहवाही पायी। कविमित्र समूह जिसके संस्थापक-संयोजक शैलेन्द्र ढड्ढा, अशफाक फौजदार और प्रमोद वैष्णव हैं, ने मौलाना आज़ाद स्कूल के परिसर में इस आयोजन को सम्भव बनाया। प्रस्तुत है इस आयोजन में बेहद पसंद किये गये चंद शेर और कविता की पंक्तियाँ-
मेरे दिल में है दुख दर्द के अंबार बरसों से
उसे देखा नहीं है मैंने पिछले चार बरसों से
– अरमान जोधपुरी
वही एक आदमी था उन सभी में
जिसे पागल बताया जा रहा है
– रेणु वर्मा
मैं औरत हूँ बस इतनी पहचान बहुत है
– मधुर परिहार
अब कहानी में वो बच्चा भी बड़ा हो गया है
वो जो हर बात पे हैरां हुआ करता था
वक्त के साँचे में ढल के औरतें
आ गई घर से निकल कर औरतें
– फ़ानी जोधपुरी
यहाँ तो श्रृंखला ही पूरी की पूरी थी दुखों की
आखिर क्यों न बनता मैं बुद्ध
– दशरथ सोलंकी
एक तमाशा फिर हुआ इन दंगों के बाद
जिनने फूंकी बस्तियां बांट रहे इमदाद
न धर्म न कोई मजहब न ही कोई भगवान
मेरे लिये मेरा भारत महान है साहब
– खुर्शीद खैराड़ी
मेरे कहे अल्फाज से
अब वह किसी और को खत लिखता होगा
तेरे प्रीत का रंग है मुझ पर
– शिवानी पुरोहित
राह में सूखे शजर है
धूप ही मेरा सफर है
– अमजद अहसास
कैस-सी जिंदगी जीने की तमन्ना कौन करे
यारो सहरा में भटकने की तमन्ना कौन करे
– अशफाक फौजदार
सड़क पार बने कामना कॉम्प्लेक्स ने
ढंक दिया गुड़िया के हिस्से का आसमान
उसके हिस्से का चांद
– कमलेश तिवारी
मन में एक ही सवाल कौंध रहा था
एक निश्चित उम्र तक ही
असर करता है क्या
ये महिला दिवस का उत्सव
– प्रमोद वैष्णव
जब मस्ती चढ़ी बिना भंग हो
जब चेहरे पर खुशियों के हजार रंग हो
जब प्रिय तेरा तेरे संग हो
जब बजता अनाहत चंग हो
तब ही समझ लेना होली है
वगरना कमबख्त ये जिंदगी ठिठोली है
बंदूक की गोली है
– शैलेन्द्र ढड्ढा
नवीन पंछी, कल्याण के. विश्नोई, रज़ा मोहम्मद ख़ान, यायावर दीवाना, पूर्णदत्त जोशी, गोरधन सुथार और अन्य ने भी अपनी कविताओं की सुंदर प्रस्तुतियाँ दीं। कार्यक्रम का संचालन कल्याण के. विश्नोई ने किया। अंत में शैलेन्द्र ढड्ढा ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया।
– टीम हस्ताक्षर