हायकु
हिंदी दिवस पर आधारित हायकु रचनाएँ
लोक निर्माण
करती जो श्रृंगार
हिन्दी ओ भाषा
बोले कोयल
बैठे हिन्द के डाली
भाषा जो हिन्दी
मीठे संवादों
धरा सजती भाषा
हिन्दी ओ माता
वर्ण उन्चास
स्वर करे श्रृंगार
बनती हिन्दी
हिन्दी में मन
सजा देश भारत
करो नमन
जाए महक
देश का कोना कोना
ये हिन्दी भाषा
नदी प्रवाह
सींचते हर जहां
तरल हिन्दी
भाषा की धारा
चतुर्दिक सैलाब
पहुँचे हिंदी
भरो हृदय
सतत जलधर
भाषा तो हिन्दी
गौ गंगा गीता
संघ विराजे भाषा
देश में हिन्दी
हिन्द के मूल
भाषा नही संस्कार
हिन्दी गौरव
– वी पी पाठक