हायकू
हायकू
बरखा बूँद
फूटा मिट्टी में मिला
मनु जीवन
अनारदाना
कला मनभावन
प्रकृति क्रीड़ा!
लड़ी बून्द की
पँखुरी आह्लादित
मोती धुन्ध की!
देह हैं भस्म
नभ खोह भभूका
भू चित वट!
विटप सन्त
सह सब सन्ताप
सुख प्रदाता!
शाख से टूटा
पीत वर्ण का पत्ता
झूठ जी गया!
बिछुड़े हम
सूने होते कोठर
पतरा ऋतु!
टाट पैबन्द
हवेलियाँ चिढ़ती
गरीब बस्ती!
बहुरूपिया
नित नया मुखौटा
जग रूप का!
अन्तःघुटन
फूटते ज्वालामुखी
घायल पक्षी!
जीवन पीड़ा
कवच तोड़ जन्मा
संघर्ष नया!
धूप में छाँव
दूर है दोनो ही गाँव
अनुभूतियाँ!
माँ का जनाजा
हाथ नियुक्ति पत्र
खड़ी गाड़ियाँ
बंजारी बस्ती
अब्धि की भोली मीन
क्षुधित शार्क
सर्पीली राह
परिक्रमा आरोही
ध्वज शिखर
बीज में वट
गुंठलियों में बंद
नियति फल
निराता माली
धरा का उपहार
फूल बगीचा
प्रिय मिलन
रुढ़ि चीनी दीवार
नैन सावन
अंध गुफाएँ
अपरिचित प्रश्न
जली मशालें
– शशी शर्मा ख़ुशी